अली अनवर अंसारी साहब को लोकसभा में होना चाहिए- चंद्रभूषण यादव

एक अच्छे वक्ता,लेखक,पत्रकार व पसमांदा मुस्लिम समाज के पैरोकार श्री अली अनवर अंसारी साहब एक सजग राजनेता हैं जिन्होंने श्री शरद यादव जी के साथ खड़े होकर नीतीश कुमार जी के पलटी मार कुकृत्य का विरोध करते हुये खुद की सांसदी को दलबदल विरोधी अधिनियम के दायरे में ला लिया।अली अनवर जी ने राजद-जदयू गठबन्धन तोड़ने के नीतीश कुमार जी के निर्णय पर असहमति जताते हुये जबर्दस्त प्रतिकार किया और खुद की सांसदी को संकट में डाल लिया और अंततः उनकी राज्यसभा सदस्यता चली गयी।
अली अनवर साहब शायद यह मानते हुये कि-
“वसूलों पर जो आंच आये तो टकराना जरूरी है।
गर जिंदा हो तो फिर जिंदा नजर आना जरूरी है।।” नीतीश कुमार जी से भिड़ बैठे।वसूलों के लिए कुर्बान होने वालों को प्रोटेक्ट करने की जिम्मेदारी समाज की होती है क्योकि समाज मे बहुत कम लोग हैं जो वसूलों के लिए शहादत देना कबूल करते हैं।अवसरवाद इस तरीके से अपना असर डाले हुये है कि एक से एक वैचारिक व्यक्ति को पथभ्रष्ट होते देर नहीं लग रही है।ऐसे समय मे अपने राज्यसभा सदस्यता को लात मारना कोई मामूली बात नही है।
अली अनवर साहब पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय नेता हैं।इनकी सदारत में पूरे देश मे पसमांदा मुसलमान अपने पिछड़ेपन पर सोच-विचार करते हुये आवाज बुलंद कर रहे हैं इसलिए भी ऐसे व्यक्ति की देश की सन्सद में मौजूदगी जरूरी है जो मुस्लिम आबादी की विपुल जनसंख्या के मसायल को पूरी संजीदगी के साथ उठा सके।
अली अनवर साहब विचारधारा की बुनियाद पर सौ टका खरे उतरे है।वे चाहे होते तो के सी त्यागी जी जैसे लोगो की तरह से मन मारकर,विचारधारा का कत्ल कर नीतीश कुमार जी के साथ भाजपा गठबंधन में चले गए होते तो सांसद बने रहते लेकिन उन्होंने सांसद बने रहना महत्वपूर्ण नही माना बल्कि विचारधारा को महत्वपूर्ण माना और सांसद जैसे पद को ठोकर मार दिया।
विहार की आस-विश्वास व नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी यादव जी से अनुरोध है कि एक योग्य, सक्षम,सामाजिक न्याय व धर्मनिरपेक्षता के लिए समर्पित श्री अली अनवर अंसारी साहब को जरूर संसद में जाने का इंतजाम करेंगे और उनके मान-सम्मान को बढ़ाएंगे क्योकि विचारों के लिए सूली पर चढ़ने वाले लोग सर-आंखों पर बिठाने योग्य होते हैं।
-चन्द्रभूषण सिंह यादव

Leave a comment