इलाहाबाद हाईकोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट के द्वारा Higher judicial service (HJS) मतलब अतरिक्त जिला जज(ADJ) के मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी किया गया हैं। जिसमे 44 पदों पर भर्ती की गई हैं । इसमे से मात्र 3 ओबीसी अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया है बाकी सब पर जनरल कटेगरी के लोगो को पास कराया गया हैं।
इसको लेकर बहुजन छात्रों में गुस्सा हैं। फेसबुक यूजर राम करन निर्मल ने ने न्यायपालिका को मनुपालिका तक कह दिया ।
इसके अलावा सीमा पर तनाव के बीच जारी हो ऐसे परिणामों के लिए कई यूजरों ने सवाल खड़ा किया है कि ‘जब ज़्यादातर एससी, एसटी, ओबीसी के ही जवान देश के लिए शहीद हो रहे हैं, तब सवर्ण किस खेल में लगे हैं, इसे जानने के लिए 28 फ़रवरी का ये रिज़ल्ट देखें। जिसमे sc/st नदारत हैं और obc मात्र तीन ही जनेऊ तंत्र के द्वारा सफल किये गये हैं। बाकी पर जातीय मेरिट धारियों ने कब्जा किया हैं। ये खेल 25 सालो से अनवरत जारी हैं।
ये हाल तब हैं जब तथाकथित न्याय (उच्च न्यायालय) के गर्भ गृह में बैठे पुजारियों (न्यायाधीश) के द्वारा HJS की कॉपी जांची जाती हैं। न्यायपालिका के जातीय खेल को समझीये ये बानगी मात्र हैं देश के समस्त उच्च न्यायालयों में ये प्रथा बदस्तूर जारी ही।
आप समझ सकते हैं कि यूपी के बहुजन नेता इस न्यायपालिका के डर से हमेशा क्यों काँपते रहते हैं और सवर्ण तुष्टिकरण करते हैं। सरकारें चाहें जिस पार्टी की आएं कोर्ट में बैठे ये जातीय बहुसंख्यक जज अपने हितों में ही फैसला सुनाते हैं। न्यायपालिका धीरे धीरे कार्यपालिका के कार्यो में हस्तक्षेप करने लगा है।