
ये नेपाल का नक्सा है जिसमे उसने तीन ऐसे स्थानो को अपना बोला है जिसे भारत अभी तक अपना क्लेम करता आ रहा था.
जून 2019 में मैं चीन के सिचुआन प्रान्त कि राजधानी छन्ग्तू में था. वहाँ पर एक अनुभव हुआ जिसे देख और सुन कर मैं दंग रह गया था.
एक नेपाली रिसर्चर जो अपने रिटायरमेन्ट के बाद वहां पीएचडी कर रहा था. उसका रिसर्च का विषय था.. क्या नेपाली चीनी नश्ल के है?
भाई साहब उस आदमी ने अपने रिसर्च में यह सिद्ध कर दिया कि ऐतिहासिक रूप और जेनेटिक रूप से नेपाली चीनी ही है. बात यही खत्म नहीं होती है. उसका पूरा परिवार चीनी फ़ेलोशिप पर चीन मे ही था.
दूसरा अनुभव वहाँ के नेपाली छात्रो का भी है. वहा पर भारतीय छात्रॊ से इनकी एकदम नहीं बनती थी. नेपाली और भारतीय अलग अलग रहते थे.
यह पिछले कुछ दसको से तेजी से हुआ है. चीन पैसे और अपनी ताकत से नेपाल को अपने पक्ष मे करता आया है. इधर भारत भी दक्षिण एशिया मे दादा बन रहा था. नतीजा ये हुआ कि भारत का एक पुराना दोस्त आज भारत से दूरी बना लिया है.भारत कि विदेश नीति कि यह एक विफ़लता है.