समाजवादी पार्टी का 8 वां राज्य सम्मेलन सम्पन्न आरक्षण,पिछड़ा वर्ग व मण्डल कमीशन फिर नदारद

चन्द्रभूषण यादव की कलम से–

उत्तर प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण एवं मजबूत पार्टी समाजवादी पार्टी का 8 वां राज्य सम्मेलन रमा बाई अम्बेडकर पार्क,लखनऊ में सम्पन्न हो गया जिसमें पुनः एमएलसी श्री नरेश उत्तम पटेल जी राज्य अध्यक्ष निर्वाचित कर लिए गए।निश्चित तौर पर श्री नरेश उत्तम पटेल जी समाजवादी पार्टी के एक उत्तम राज्य अध्यक्ष हैं और रहेंगे। भीड़ की दृष्टि से भी यह राज्य सम्मेलन अत्यंत सफल कहा जायेगा पर इस सम्मेलन में पहली बार समाजवादी पार्टी के गठन के बाद श्री मुलायम सिंह यादव जी की उपस्थिति नही रही बावजूद इसके श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में राज्य में श्री मुलायम सिंह यादव जी की पूरी पार्टी श्री अखिलेश यादव जी के पास ट्रांसफर हो गयी दिखी और दूसरे लोग जो वरासत की जंग लड़ रहे हैं धराशायी हो गए। समाजवादी पार्टी का राज्य सम्मेलन अब तक की परंपरा के इतर पहली बार 3 घण्टे में ही निबट गया जबकि इसके पूर्व राज्य सम्मेलन,राष्ट्रीय सम्मेलन,विशेष राज्य सम्मेलन या प्रशिक्षण शिविर कम से कम 3 दिन तक चलते थे तथा मुद्दों पर बहस होती थी।कारण चाहे जो हो पर 1992 में पार्टी गठन के बाद पहली बार आनन-फानन महज 3 घण्टे में ही राज्य सम्मेलन की सारी औपचारिकताएं पूरी कर इसे समाप्त कर दिया गया।श्री अखिलेश यादव, श्री नरेश उत्तम पटेल,श्री रामगोविंद चौधरी,श्री इंद्रजीत सरोज,श्री किरनमय नन्दा,श्री आजम खां,श्री रामसुंदर दास निषाद,श्री रामआसरे विश्वकर्मा,श्री नरेश अग्रवाल,श्री माता प्रसाद पांडेय,श्री अहमद हसन, श्रीओमप्रकाश सिंह,श्री उदय प्रताप सिंह यादव,श्री बलवंत सिंह,श्री रामगोपाल यादव आदि के भाषण के साथ ही यह सम्मेलन पूर्ण हो गया।

यह सम्मेलन अपने 16 पेज के राजनैतिक/आर्थिक प्रस्ताव में जनकल्याण की तमाम योजनाओं को बंद किये जाने,जीडीपी में गिरावट,जीएसटी की खामियों पर चिंतित दिखा लेकिन आरक्षण को ध्वस्त करने,पिछडो को और पिछड़ा बनाने, मण्डल कमीशन की मंशा को धराशायी करने पर उफ तक नही किया। समाजवादी पार्टी के 16 पेज के राजनैतिक/आर्थिक प्रस्ताव में सामाजिक न्याय का एजेंडा एक बार फिर गच्चा खा गया है।हिंदुत्व से मुकाबला करने की रणनीति बनाने वाली समाजवादी पार्टी पता नही क्यो आरक्षण से भयग्रस्त है जबकि आरक्षण और भागीदारी का सवाल ही भाजपा के हिंदुत्व का काट है।

समाजवादी पार्टी अपने पुरखों के मूल सिद्धांत भागीदारी,विशेष अवसर,सामाजिक न्याय,मण्डल कमीशन से “भसुर”(जेठ) जैसा बर्ताव क्यो कर रही है,यह समझ से परे है।क्यो समाजवादी पार्टी सोशल जस्टिश से अछूत जैसा व्यवहार करने को बाध्य या विवश है यह समाजवादी पार्टी के पिछड़े वर्ग के मूल मतदाता ,कार्यकर्ता एवं नेता समझ नही पा रहे हैं।मुद्दों की उपेक्षा और विकास की सतही बातें किसी भी दल का सिद्धांत,नीति और कार्यक्रम नही होता और न ही इसके बिना कोई मजबूत जनाधार तैयार हो सकता है।बाढ़ की उम्मीद में जीने वाले दल और नेता जब तक स्थायी नीति और अपने मूल मतदाताओ तथा समाज के उपेक्षित वर्गो के हितोपयोगी कार्यक्रम नही तैयार करेंगे तो दूसरो की नाकामियों पर वे लंबे समय तक सत्ता नही चला सकते।

समाजवादी पार्टी का राजनैतिक/आर्थिक प्रस्ताव भारतीय जनता पार्टी की केंद्र व राज्य सरकार की खामियों पर विशेष ध्यान देता दिख रहा है और इन केंद्र व राज्य की सरकारों की नाकामियों व खामियों को फोकस कर उसे ध्वस्त करने की रणनीति पर कार्य करने का संकल्प लेता दिख रहा है जो कभी भी न चिरस्थायी रहेगा और न वंचित समाज के वर्गीय हित का पोषक ही बनेगा।

समाजवादी पार्टी के राज्य सम्मेलन में पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रह चुके पूर्व मंत्री श्री रामआसरे विश्वकर्मा एकमात्र बोलने वाले नेता थे जिन्होंने आरक्षण/मण्डल कमीशन की वकालत किया।न्याय पालिका,प्राइवेट सेक्टर आदि में पिछडो के आरक्षण की मांग किया और अपने पूरे भाषण को पिछड़े वर्गों पर केंद्रित रखा।

पूर्व मंत्री श्री आजम खां ने अल्पसंख्यको के ऊपर हो रहे जुल्म पर चिंता जताया और कहा कि अल्पसंख्यक देश के लिए मरने-जीने वाले हैं,इन पर संदेह नही किया जाना चाहिए। कुल मिला-जुलाकर समाजवादी पार्टी का राज्य सम्मेलन पहली बार मुलायम सिंह यादव जी की अनुपस्थिति के बावजूद सफल रहा और पूरे दल ने श्री अखिलेश यादव जी मे अपनी आस्था जता दिया परन्तु 3 घण्टे में सम्मेलन का समापन व पिछडो के मुद्दे से कन्नी काटने जैसे सवाल पार्टी की दिशाहीनता व बेचारगी को सामने ला दिए।

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