मायावती जी और मुलायम सिंह यादव जी किसी दबाव में तो नही हैं ? मायावती जी ने विपक्षी एकता से सम्बंधित पोस्टर को नकार दिया है तो मुलायम सिंह यादव जी ने गठबंधन की दशा में समाजवादी पार्टी से खुद को अलग करने की बात कह अपने नजरिये को स्पष्ट कर दिया है।
बड़ा अजीब है कि पिछले 2014 लोकसभा चुनाव में मायावती जी “सर्वजन-सर्वजन” का जाप करते हुए “शून्य” स्कोर पर आउट हो गयी तो मुलायम सिंह यादव जी “पदोन्नति में आरक्षण बिल फाड़ करके” महज “पांच” सीट पर अपने घराने तक सीमित हो फुस्स हो गए।
बहुजन समाज पार्टी के ट्वीटर एकाउंट पर “बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय” लिखते हुए मायावती जी,अखिलेश यादव जी,लालू प्रसाद यादव जी,ममता बनर्जी जी,शरद यादव जी,सोनिया गांधी जी,तेजश्वी यादव जी का फोटो लगा करके सामाजिक न्याय के समर्थन में विपक्ष एक हो लिख करके पोस्टर डाला गया था। इस पोस्टर के बाद पूरे देश के बहुजन समाज मे एक लहर सी दिखी थी कि चलो लगता है कि यूपी की यह दोनों सामाजिक न्याय समर्थक ताकते अब अपने पुराने राह पर आ जाएंगी और एकजुट होकर साम्प्रदायिकता का मुकाबला करेंगी। इस बहुजन समर्थक पोस्टर के जारी होने के बाद हर्ष की जो लहर बह रही थी उसमें मायावती जी ने एकाएक बयान देकर सबके खुशी को काफूर कर दिया।मायावती जी ने जब यह बयान जारी किया कि वे “बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय” की बजाय “सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय” की समर्थक हैं। यह ट्विटर एकाउंट बसपा का अधिकृत एकाउंट नही है।
बसपा ने ऐसा कोई पोस्टर जारी नही किया है। मायावती जी का यह बयान अभी बहुजन एकता के समर्थक लोगो को अपच किये ही हुए था कि अब मुलायम सिंह यादव जी का यह बयान आ गया है कि “यदि गठबंधन हुवा तो वे समाजवादी पार्टी से अलग हो जाएंगे”,अत्यंत सोचनीय है। पूरा देश और सामाजिक न्याय एवं साम्प्रदायिक सद्भावना समर्थक ताकतें चाहती हैं कि देश मे फासीवादी जमातें पदच्युत हों।बहुजनो के साथ हो रहा अन्याय खत्म हो,2019 में सेक्युलर ताकतों का राज हो लेकिन इस सोच में पता नही क्यो मायावती जी और मुलायम सिंह यादव जी पलीता लगाने को आतुर हैं? मायावती जी और मुलायम सिंह यादव जी आखिर किस दबाव में हैं कि अपनी सारी स्थिति जानने,समझने,देखने के बावजूद गठबंधन में दरार डालने पर आमादा हैं।बहुजन समाज शॉक्ड है कि ये बहुजन नेता देश को और अपने समाज को किस दिशा में लेना चाहते हैं?” का जाप करते हुए “शून्य” स्कोर पर आउट हो गयी तो मुलायम सिंह यादव जी “पदोन्नति में आरक्षण बिल फाड़ करके” महज “पांच” सीट पर अपने घराने तक सीमित हो फुस्स हो गए। बहुजन समाज पार्टी के ट्वीटर एकाउंट पर “बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय” लिखते हुए मायावती जी,अखिलेश यादव जी,लालू प्रसाद यादव जी,ममता बनर्जी जी,शरद यादव जी,सोनिया गांधी जी,तेजश्वी यादव जी का फोटो लगा करके सामाजिक न्याय के समर्थन में विपक्ष एक हो लिख करके पोस्टर डाला गया था।इस पोस्टर के बाद पूरे देश के बहुजन समाज मे एक लहर सी दिखी थी कि चलो लगता है कि यूपी की यह दोनों सामाजिक न्याय समर्थक ताकते अब अपने पुराने राह पर आ जाएंगी और एकजुट होकर साम्प्रदायिकता का मुकाबला करेंगी। इस बहुजन समर्थक पोस्टर के जारी होने के बाद हर्ष की जो लहर बह रही थी उसमें मायावती जी ने एकाएक बयान देकर सबके खुशी को काफूर कर दिया।मायावती जी ने जब यह बयान जारी किया कि वे “बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय” की बजाय “सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय” की समर्थक हैं।यह ट्विटर एकाउंट बसपा का अधिकृत एकाउंट नही है।बसपा ने ऐसा कोई पोस्टर जारी नही किया है। मायावती जी का यह बयान अभी बहुजन एकता के समर्थक लोगो को अपच किये ही हुए था कि अब मुलायम सिंह यादव जी का यह बयान आ गया है कि “यदि गठबंधन हुवा तो वे समाजवादी पार्टी से अलग हो जाएंगे”,अत्यंत सोचनीय है। पूरा देश और सामाजिक न्याय एवं साम्प्रदायिक सद्भावना समर्थक ताकतें चाहती हैं कि देश मे फासीवादी जमातें पदच्युत हों।बहुजनो के साथ हो रहा अन्याय खत्म हो,2019 में सेक्युलर ताकतों का राज हो लेकिन इस सोच में पता नही क्यो मायावती जी और मुलायम सिंह यादव जी पलीता लगाने को आतुर हैं? मायावती जी और मुलायम सिंह यादव जी आखिर किस दबाव में हैं कि अपनी सारी स्थिति जानने,समझने,देखने के बावजूद गठबंधन में दरार डालने पर आमादा हैं।बहुजन समाज शॉक्ड है कि ये बहुजन नेता देश को और अपने समाज को किस दिशा में लेना चाहते हैं?
-चन्द्रभूषण यादव