
सांगीपुर : भक्ति के लिए अश्लीलता होती है या अश्लीलता के लिए भक्ति? यह सवाल मेरे लिए 50 साल शहर में रहने के बाद भी अनसुलझा था।और अब गांव में रहने के बाद भी अनसुलझा है। शहर में जिस कार्यालय में कार्यरत था वहां वर्ष में एक बार सत्यनारायण की पूजा होती। जिसमें सभी धर्म के लोगों का योगदान होता था! पूजा पूजा के बाद आरती आरती के बाद प्रसाद प्रसाद के बाद भोजन यहां तक तो सब ठीक है। शाम होते ही पूरा माहौल बदल जाता है। फिल्मी धुन पर ठुमके लगने शुरू हो जाते है। कुछ शराब में धुत लोग तो अश्लीलता की सारी हदें पार कर जाते थे। और अब थोड़ा कमोवेश यही नजारा मैंने गांव में भी देखा। यहां भी पूजा के बाद शाम को लोग साउंड पर गाना बजवातए हैं लौंडिया लंदन से लाएंगे रात भर डीजे बजायएंगे। और फिर शुरू होगा डांस। कैसे-कैसे डांस होते हैं यह बताने की नहीं देखने की जरूरत है। जय हो भक्त जन की।