दिल हमारे शरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंग है । यह हमारे शरीर को शक्ति प्रदान करता है क्योंकि यह शरीर में प्रत्येक कोशिका, तंत्रिका, मांसपेशियों और महत्वपूर्ण अंग को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है। दिल धड़कना बंद कर दे तो इस धरती पर कोई जीव ज़िंदा नहीं रह सकता ।
क्या ऐसा हो सकता है की is पृथ्वी पर किसी जीव के शरीर में उसका दिल हो? विज्ञान यह कर दिखाया है । सेल्वा हुसैन ऐसी महिला है जिनका दिल उनके शरीर में नहीं है ।
ब्रिटेन में रहने वाली सेल्वा हुसैन के शरीर में उनका दिल नहीं है । जी हाँ उनका दिल इंक शरीर में नहीं बल्कि उनके बैग में उनके साथ रहता है ।उनके दिल me समस्या होने के कारण कृत्रिम दिल लगाया गया था जो उनके बैग में रहता है । सेल्वा हुसैन, इलफ़र्ड, पूर्वी लंदन, 27 जून 2017 को उनका कुल कृत्रिम हृदय प्रत्यारोपित किया गया था।
एक बैग हमेशा उनके साथ रहता है जिसमें एक डिवाइस रहता है जिसमें दो बैटरी और एक इलेक्ट्रिक इलेक्ट्रिक मोटर और एक पंप है। यह डिवाइस शरीर में रक्त प्रवाह के लिए, रक्त प्रवाह के लिए रोगी के सीने में एक प्लास्टिक पम्प से हवा को धक्का देती रहती है।
2017 में सेल्वा की अविश्वसनीय कहानी शुरू हुई, जब उन्हें हार्ट अटैक आया था । डॉक्टर को देखने के लिए खुद गाड़ी चलाकर गई थी ।जहाँ उन्हें बताया गया कि वह दिल की गंभीर बीमारी से पीड़ित है।
सेलवा की हालत बहुत ज़्यादा खराब हो रही थी। उनके जीवन को बचाने का एकमात्र विकल्प कुल कृत्रिम हृदय का प्रत्यारोपण करना था। इसलिए, उनके पति ने उन्हें कृत्रिम दिल लगाए जाने पर सहमति दे दी । सेल्वा के प्राकृतिक दिल को सर्जनों द्वारा हटा दिया गया और उनकी पीठ पर एक कृत्रिम प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉक्टर लगाया गया ।
एक अमेरिकी कंपनी द्वारा बनाया गया वह दिल 81 लाख रुपए का था । – सर्जन डायना गार्सिया सैज़ द्वारा किए गए छह घंटे के ऑपरेशन के दौरान फिट किया गया था, और हेरेफील्ड के प्रत्यारोपण सर्जरी के प्रमुख, श्री आंद्रे साइमन द्वारा सहायता प्रदान की गई थी।
सेलवा ने अस्पताल में अगले महीने यह सीखने में बिताया कि कैसे चलना, बात करना, खाना और पीना फिर से बनाना और मांसपेशियों को मजबूत करना रिकवरी के लिए उनकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता और हेरेफील्ड टीम की विशेषज्ञता है, सेल्वा को क्रिसमस बिताने के लिए समय पर घर से छुट्टी मिल पाई अपने पति और बच्चों के साथ।
उनके पति को हमेशा अपनी पत्नी के साथ इस डर की वजह से साथ होते है कि अगर बैटरी अचानक किसी वजह से बैटरी फ़ेल होती है तो नई बैटरी को रिप्लेस करने के लिए उनके पास केवल 90 सेकंड का समय होता है। कृत्रिम हृदय हर मिनट 138 बार की दर से पूरे शरीर में रक्त पंप करने में सक्षम है जो सेल्वा को जीवित रखता है।
यह विज्ञान का एक चमत्कार ही है जो एक जीवित शरीर में दिल नहीं है फिर भी वह अपने परिवार के साथ जीवित है ।
उनकी कहानी बहुत कुछ बताती है हमें की कैसे हम आम इंसान छोटी छोटी बातों से जीवन में परेशान हो जाते है । क्या सेल्वा हुसैन जिन्हें हमेशा भारी भरकम बैग उठाए रखना पड़ता है जिसमें उनका मानव निर्मित दिल धड़कता रहता है उससे ज़्यादा बड़ी परेशानी कोई और हो सकती है ? और हम इंसान छोटी -छोटी समस्याओं से हार मान लेते है ।
यह कहानी यह भी प्रमाणित करती है की इस दुनिया को चलाने वाला कोई नहीं है । ऐसी कोई शक्ति नहीं है जो इंसान के जीवन को प्रभावित करती है । महात्मा बुद्ध ने बहुत पहले यह कह दिया था । हाल के सबसे महान वैज्ञानिक स्टीफ़न हकिंग ने भी यही कहा था ।
जब इंसान का दिल बंद हो जाता है तो इंसान मृत हो जाता है पर विज्ञान ने यह संभव किया की प्रकृति का बनाया हुआ दिल शरीर से निकालने के बाद भी सेल्वा ज़िंदा है । किसी ईश्वरीय चमत्कार से तो यह कभी सम्भव नहीं हुआ पर विज्ञान ने यह कर दिखाया है
राजेश जी को अम्बेडकरी विचारधारा फैलाने हेतु बहुत-बहुत साधुवाद! आप की गहरी समझ वाले सामाजिक, आर्थिक मामलों में सुस्पष्ट, निर्भीक विचार वाले विशिष्ट लेखों, टिप्पणियों से समाज लाभान्वित हो रहा है। आप वित्तीय मामलों के विशेष जानकार हैं और निरन्तर अध्ययनशील भी रहते हैं। शुभकामना करता हूं कि आप इस विधा में शिखर की ऊंचाइयों तक पहुंचे।
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बहुत बहुत धन्यवाद सर
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Very nice Mr Rajesh Pasi ji!
आपका छोटा सा परिचय पढ़कर बहुत अच्छा लगा. आपका काम, विचार और समाज के प्रति आपकी विशिष्ट सोच आपको एक आम से खास व्यक्तित्व की ओर अग्रसर करती है. आप इसी तरह बुद्ध और अम्बेडकर के विचारों रूपी नैया का सहारा लेकर समाज और राष्ट्र हित में अपना बहुमूल्य योगदान देते रहें यही मंगल कामनाएँ.
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हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
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