मुंबई : नीला रंग मानवता के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण रहा है । यह बड़ी मुश्किल से मिलता था इसलिए इसे बहुत क़ीमती और शाही रुतबा हासिल था ।
लाल, काले, भूरे या गेरू जैसे अन्य कलर तो इंसान बहुत पहले से उपयोग करते थे और नीला रंग बाद में उपयोग करना शुरू किए पर प्राचीन समय से ही नीले रंग ने मानव सभ्यता का साथ दे दिया था ।
नीले रंग की खोज lapis( नीला पत्थर) और ऐसे ही दुर्लभ खनिजों से हुई थी इसलिए शुरुआती दौर में बहुत महंगा था । सबसे बड़ा लैपिस का भण्डार अफगानिस्तान के हिंदुकुश में स्थित है, जहां आज भी उसकी खुदाई वैसे ही की जाती है जैसे 3,000 साल पहले की जाती थी ।
मिस्र की उन प्राचीन सभ्यताओं ने जिन्होंने पिरामिड बनवाया उन सभ्यताओं ने नीले रंग का सबसे ज़्यादा उपयोग किया था ।एक समय नीले रंग की क़ीमत सोने के बराबर थी क्योंकि यह लैपिस से ही बनता था ।
यही कारण है कि 3000 ईसा पूर्व में मिस्र की सभ्यताओं ने नीला रंग बनाने के तरीक़े की खोज की शुरुआत की ।थोड़ा-थोड़ा करके वे प्रयोग करते गए , जिसमें Silica , नीबू, तांबा और क्षारीय पदार्थ पीसकर इसे 800-900 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किया तब जा कर मानव इतिहास में पहली बार कृत्रिम नीला रंग बनाने में सफलता प्राप्त की ।
मिस्र वासियों में ने इसका उपयोग लकड़ी, कैनवास, और जहाजों को पेंट करने के लिए किया। लेकिन विशेष रूप से मास्क, मूर्तियों और कब्र के चित्रों में इसका बहुतायत उपयोग किया । क्योंकि उनका मानना था कि नीले रंग में जीवन के बाद की यात्रा में बुरी शक्तियों से बचाने की शक्ति होती है ।
नीले रंग का सबसे पुराना ज्ञात उदाहरण लगभग 5000 साल पहले से है और पहले राजवंश के अंतिम फिरौन, का-सेन के शासनकाल की एक कब्र की पेंटिंग में पाया गया था। नए राज्य में मिस्र के नीले रंग का उपयोग मूर्तियों, कब्रों और ताबूत के चित्रों में पाए जाने वाले रंग के रूप में बहुतायत से किया गया ।
नीला रंग बहुजन से जुड़ा है तो यह गर्व की बात है क्योंकि नीला रंग पृथ्वी का सबसे महत्वपूर्ण रंग है ।बहुजनो की पहचान नीला है । बाबा साहेब भी नीला कोट पहनते थे । समुद्र भी नीला दिखता है । अंतरिक्ष से देखने पर भी पृथ्वी का बाहरी भाग नीला दिखता है ।बहूजनो ने नीले को अपनाया तो ज़ाहिर है ऐसे ही नहीं अपना लिया है । नीले का बहुत महत्व है इस पृथ्वी पर ।
जय भीम , नमों बुद्धाय
बहुत ही अच्छा
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