अमेरिका की नीतियाँ मुझे बहुत पसंद नहीं है । पर वहाँ के मानव मूल्यों , हर एक इंसान की महत्वपूर्णता, वहाँ का लोकतंत्र हमेशा से दुनिया को यह दिखाता रहा है की वह दुनिया के बेहतरीन देशों में से एक है ।
हालाँकि नस्ल भेद वहाँ भी पूरी तरह ख़त्म नहीं हो पाया है जैसे हमारे यहाँ जातीय भेद । गोरे लोगों का काले लोगोंके प्रति घृणा उन्हें दोयम दर्जे का समझना अभी भी बहुत से गोरे लोगों के दिमाग़ में भरा है ।
इसलिए वहाँ भी काले लोगों के प्रति गोरे लोगों की हिंसा होती रहती है । जैसे कि भारत देश में एक वर्ण के ख़िलाफ़ हिंसा होती रहती है ।
पर अमेरिका में एक बड़ा फ़र्क़ है की जब कोई गोरा किसी काले के ख़िलाफ़ नस्लीय हिंसा करता है तो पूरा देश एक साथ विरोध के लिए उठ खड़ा होता । इसके विरोध में सिर्फ़ काले लोग सरकार के ख़िलाफ़ नहीं खड़े होते बल्कि गोरे लोग भी इसके ख़िलाफ़ खड़े होते है और विरोध करते है। वहाँ काले लोगों को आबादी के हिसाब से निजी सरकारी हर क्षेत्र में अधिकार प्राप्त है ।
और तभी सही मायने में एक देश बनता है । लोगों को देश और देश के प्रति प्रेम बढ़ता है और देश में विकास होता है ।
क्या आप भारत में इसकी कल्पना कर सकते है ? क्या आपने कभी किसी छोटी जाती वाले की जातीय हिंसा पर ऊँची जाती वालों को आंदोलन करते देखा है । क्या यहाँ आपने दलित बहुजन के अधिकारों के लिए सवर्ण जातियों को विरोध में सड़क पर उतरते देखा है । आज भी भारत देश में कितनी जातीय हिंसा और हत्याएँ हो रही है । छोटी जाती के लोग घोड़े पर बैठ कर बारात चली जाय यह भी सहन नहीं होता । सोचिए क्या यहाँ के लोग कभी दलित / बहुजन के अधिकरों के लिए कभी आंदोलन करेंगे?
हाँ आंदोलन करेंगे आरक्षण ख़त्म करने के लिए । पर क्या कभी देश से जाती ख़त्म करने के लिए आंदोलन हुआ है इस देश में ?
और सबसे बड़ी बात जो लोग यहाँ आरक्षण का विरोध करते है वही लोग अमेरिका में एशियन कम्युनिटी के लिए दिए गए अफर्मेटिव एक्शन के तहत आरक्षण से एडमिशन लेते हैं और नौकरियां करते हैं. .
वह खुद वहाँ आरक्षण लेते है पर यहाँ के आरक्षण का विरोध करते है ।
अमेरिका की हाल की इस घटना की बात सिर्फ़ इतनी थी की पुलिस को फ़ोन आया की कोई ब्लैक 20 डालर के नक़ली नोट से फ़ूड ख़रीद रहा है । पोलिस वहाँ पहुँची तो बहुत सारे लोग खाना खा रहे थे । उसमें से एक अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड भी थे जो की एक कोंपनी में सिक्युरिटी गार्ड थे । श्वेत पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन को उसी पर शक हुआ और सीधे उसे मारकर ज़मीन पर गिरा दिया । और उसे अपने घुटने से तब तक दबाए रहा जब तक वह मर नहीं गया ।उसे सिर्फ़ एक काले नागरिक होने की सजा मिली थी ।
हालाँकि ऐक्शन लेकर चारविन सहित चार अधिकारियों को निलम्बित कर दिया गया है ।
पर यह नाकाफ़ी था । अमेरिका की जनता जिसमें काले और गोरे दोनो लोग थे सड़क पर निकल कर पूरे अमेरिका को जाम कर दिया । एक मामूली से सिकुरिटी गार्ड की हत्या से पूरा अमेरिका थम गया है ।
क्या भारत देश में ऐसा सम्भव है ? क्या यहाँ के ऊँची जाती के लोग देश हित के लिए दलित बहुजन के अधिकरों के लिए आगे आएँगे ?
हक़ीक़त यही है की जब तक भारत देश में ऊपर की जतियों में बैठे लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे तब तक भारत देश का कोई भला नहीं होने वाला ।
और यक़ीन मानिए इस जाती का नुक़सान अब सिर्फ़ निचली जतियों को नहीं होगा सभी को होगा । भुगतान सभी को पड़ेगा । जब तक सभी लोग देश के पूरे नागरिकों एक समान नहीं मानेंगे सबको बराबर नहीं मानेंगे । भारत के लोगो का जीवन स्तर गिरता ही जाएगा । देश को एक राष्ट्र और भारत के हम लोग जैसी कल्पना संविधान में की है उसे साकार करने के लिए जातीय अहम को ख़त्म करना ही होगा । और इसमें सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी उनकी है जिन लोगों में जातियाँ बनाई है ।
A such h bharat tabhi aange bar sakta jub sabko braber samjha jayega.
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