मोदी-योगी राज में हक़ मांगने पर मिल रहा मुकदमा

प्रयागराज : 23 मई 2020 । ऑल इंडिया सेंट्रल कॉउन्सिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) के राष्ट्रीय आह्वान पर विभिन्न मजदूर संगठनों द्वारा श्रम कानून खत्म किए जाने के विरोध में 22 मई को राष्ट्रीय विरोध दिवस मनाया गया था । लेकिन दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों में विरोध प्रदर्शन कर मजदूरों का हक़ – श्रम कानून को पुनः लागू करने, कर्मचारियों का डीए भुगतान करने वह बकाया पेमेंट भुगतान करने की मांग कर रहे मजदूर ऐक्टू के महासचिव राजीव डिमरी की गिरफ्तारी व इलाहाबाद में उप श्रम आयुक्त कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन राष्ट्रीय सचिव डॉ कमल उसरी मनोज पांडे समेत बबली व सुनीता मजदूरों पर मुकदमा किया जाना शर्मनाक है ।
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) उत्तर प्रदेश के राज्य अध्यक्ष शैलेश पासवान ने बयान जारी कर मजदूर नेताओं की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि मोदी योगी सरकार में हक अधिकार मांगने पर मुकदमा और लाठी मिल रहा है । भाजपा सरकार छात्रों व गरीबों के साथ दुश्मन जैसा व्यवहार कर रही है । लॉकडाउन को इसने मुस्लिमों, दलितों, आइसा कार्यकर्ताओं समेत जामिया के छात्रों पर दमन का हथियार बना रखा है । यह लगातार श्रम कानूनों को खत्म कर रही है, धरना प्रदर्शन पर रोक लगाकर अभिव्यक्ति की आज़ादी और संविधान पर हमला कर रही है और जब छात्र-मजदूर अपने हक़ अधिकार के लिए आवाज उठा रहे हैं तो इन पर मुकदमे लाद रही है ।

कॉमरेड राजीव डिमरी जी


जबकि इसी लॉकडाउन में बड़े-बड़े मंदिरों में योगी पूजा कर रहे हैं, पुजारी मीटिंग्स कर रहें हैं, पूंजीपतियों-नेताओं के बेटे बर्थडे पार्टी कर रहे हैं और सरकार शराब की दुकानें खोलकर भीड़ इकट्ठा करा रही है, लेकिन इनके ऊपर महामारी एक्ट या धारा 144 के उल्लंघन पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता है । इससे स्पष्ट है कि मोदी और योगी की सरकार गरीब मजदूर और छात्र विरोधी सरकार है।

कॉमरेड डॉ. कमल उसरी

महासचिव राजीव डिमरी,सचिव डॉ कमल उसरी,मज़दूर बबली सुनीता पर मुक़दमा निंदनीयशैलेश पासवान#

#श्रम क़ानून ख़त्म करवा कर ऑनलाइन परीक्षा द्वारा ग़रीबों कि शिक्षा से बेदख़ल कर ग़ुलाम बनाने की साज़िश – आइसा


लॉकडाउन में विदेश और कोटा में फंसे अमीर छात्रों को यह सरकार फ्री में बस और प्लेन द्वारा घर पहुंचा रही है लेकिन बीएचयू में फंसे गरीब छात्रों को जबरन हॉस्टल से निकालकर दिनभर धूप में बिठाया जा रहा है। लॉकडाउन की आड़ में दिल्ली और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने सिर्फ ऑनलाइन परीक्षा का विकल्प देकर कंप्यूटर इंटरनेट की पहुंच से दूर गांव के गरीब छात्रों को उच्च शिक्षा से बेदखल करने की साजिश रची है । जो कि पूंजीपति हितैषी और गरीब विरोधी नरेंदर मोदी का एजेंडा है । आइसा ऑनलाइन परीक्षा को खारिज कराने व ऑफलाइन परीक्षा को लागू कराने के लिए अभियान चलाकर संघर्ष करेगी।

आइसा मजदूर नेताओं राजीव डिमरी, डॉ. कमल उसरी, मनोज पांडेय,बबली व सुनीता आदि पर से मुकदमे वापस लेने की मांग करती है साथ ही जामिया के छात्रों सफूरा जरगर, आशिफ इक़बाल समेत अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिहाई की भी मांग करती है ।

पुनीत सेन
मीडिया प्रभारी
आइसा
6260266035

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