आज का यह दिन जेएनयू छात्रसंघ के भूतपूर्व अध्यक्ष कॉमरेड चन्द्रशेखर चन्दू का शहादत दिवस भी है । छात्रराजनीति को नया आयाम देते हुए चन्दू ने कहा कहा था कि आइसा हमेशा एकधर्मनिरपेक्ष , लोकतांत्रिक व समावेशी भारत के लिए खड़ा होता है । इसी भारत के लिए 15 मार्च को लखनऊ में CAA के खिलाफ लड़ाई रहे नितिन राज, अश्वनी यादव, शाकिद अहमद व सुधांशू वाजपेयी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च को पैरोल(अंतरिम जमानत) देने का आदेश जारी कर दिया था। लेकिन चन्दू के क्रांतिकारी विचारधारा वाले एक दुबले पतले छात्र नितिन से योगी सरकार को खौफ सता रहा था । कोरोना महामारी में भी सरकार रिहा नहीं कर रही थी । आइसा द्वारा विश्व मानवाधिकार आयोग, सुप्रीम कोर्ट, यूएन समेत विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे संस्थाओं को लागातर लिखने के बाद यूपी की फासिस्ट सरकार रिहा करने पर मजबूर हुई है । आइसा ने यह मांग की थी कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 7 साल के सज़ायाफ्ता राजनीतिक आंदोलनकारियों को भी रिहा किया जाए ।
चन्दू के शहादत पर नितिन समेत साथियों की रिहाई से आइसा संगठन में खुशी है । चन्दू के साथ जेएनयू की छात्रसंघ उपाध्यक्ष, निर्भया अंदोलन की नेत्री, ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव तथा भाकपा माले पोलित ब्यूरो सदस्य कॉमरेड कविता कृष्णन ने ट्वीट कर नितिन की रिहाई पर राहत महससू होने की बात कही है । नितिन के रिहा होने पर आइसा राज्य अध्यक्ष शैलेश पासवान ने नितिन से फोन कर हाल चाल जाना व कोरोना के संक्रमण में स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में बात किया । नितिन ने बताया कि जेल के हालात बदतर थे , पुलिस उत्पीड़न लागातर हो रहा है । एक बैरक के लिए एक ही सेनिटाईज़र्स, साबुन जैसे सभी कैदियों के लिए साझा समान दिए जा रहे थे । जिसके खिलाफ उन्होंने जेल में भूख हड़ताल कर कुछ मांग जेल प्रसाशन से मनवा लिया ।
योगी सरकार ने CAA NRC व NPR के खिलाफ आंदोलन का मुख्य चेहरा नितिन राज को बताया है , अपने FIR रिपोर्ट में 10 से भी ज्यादा नितिन राज पर बेबुनियाद व फर्जी धाराएं लाद रखा है । CAA NRC V NPR जैसे काले कानून के माध्यम से भाजपा और आरएसएस द्वारा भारत को फासीवादी, निरंकुश व राजतन्त्रात्मक राष्ट्र बनाने के खिलाफ आइसा भारत को लोकतंत्रात्मक, समावेशी व धर्मनिरपेक्ष मूल्यों वाले देश के लिए CAA, NRC व NPR के खिलाफ संघर्ष कर रहा है । चन्दू के इसी सपने वाले भारत को स्थापित करने के लिए चल रहे संघर्ष का नितिन राज अपने आइसा के साथियों के साथ लखनऊ के घण्टाघर पर CAA, NRC व NPR के खिलाफ आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रहे थे ।
आइसा चन्दू के सपनों के भारत के लिए गतिमान है ।
संघर्ष की इस विरासत को आगे बढ़ाने के लिए कॉमरेड नितिन राज, अश्वनी यादव, शादिक अहमद व सुधांशू वाजपेयी की रिहाई पर इंक़लाबी लाल सलाम ।

