
बहुत सारे मैसेज और विडीओ घूम रहे है जो आम जन को ना सिर्फ़ गुमराह कर रहे है बल्कि बिना मतलब के डरा भी रहे है । और लोग डर करके ऐसे मैसेजों को वाइरल भी कर रहे है ।
दो नए मुद्दे लेकर बिना आधार की बातें हो रही है उन पर बात करेंगे
1. कोरोना वाइरस एक साज़िश है । यह साज़िश अमेरिका और चाइना मिल कर केवल कोरोंना के ज़रिए होने वाले व्यापार से फ़ायदे के लिए कर रहे है
2. कोरोंना बहुत ख़तरनाक नहि है । जानबूझकर डर फैलाया जा रहा है और इससे डरने की ज़रूरत नहि है ।
इन दोनो मुद्दों को लेकर बहुत से मैसेज घूम रहे है । लोग ख़ाली बैठे है और उन्हें जो सही लग रहा है बैठे बैठे लेख के ज़रिए या विडीओ बना कर शेयर कर रहे है ।लोगों को भी यह बातें अजीब लगती है इसलिए विश्वास कर लेते है । चीन या अमेरिका या दोनो को दोषी बता कर अपने मैसेज वाइरल करवा रहे है ।
जबकि इन सारे मैसेजों का कोई आधार नहि है । कोई प्रूफ़ नहि है ।यह लोग साबित करना चाह रहे है की यह केवल आर्थिक कारणो से किया जा रहा है । और जयदा ख़तरनाक नहि है ।
आइए इसे समझते है क्या व्यापार कारण हो सकता है कोरोंना के पीछे –
इस बात को समझिए की कोई भी दवा बनती है तो वह सरकार नहि बेचती । उसे फ़ार्मा कोंपनियाँ बनाती है और बेचती है ।कोरोंना की दवा बनेगी तो उसे भी फ़ार्मा कम्पनीज़ ही बेचेंगे सीधे सरकार नहि बेचेगी।
दुनिया की टोप पाँच फ़ार्मा कोंपनीज की बात करे तो ,जॉनसन एंड जोंनसन ,फ़ॉईज़र ,बेयर,Novartis ,सैनोफ़ी जैसी कोंपनियाँ है । मान लें की इसमें से कोई दवा इजाद करता है तो वही बेचेंगी।और यह सारी कोंपनियाँ सरकारी नहि है पब्लिक लिमिटेड है । सारी दुनिया में इनके शेयर धारक है ।
दूसरा पहलू भी देखिए आख़िर कोरोना से कितना व्यापार होगा जिसके लिए अमेरिका या चीन जैसे देश इतनी बड़ी साज़िश करेंगे ।
अमेरिका की GDP है 21 ट्रिलियन , चाइना की GDP 14 ट्रिलियन के आसपास है

अब दुनिया की सबसे बड़ी फ़ार्मा कोंपनी का टर्न ओवर कितना है ?
पिछले साल तक़रीबन 82 बिलियन । यह सेल है प्रोफ़िट नहि ।
इसके लिए वह 200 देशों से जयदा में व्यापार करता है और 185 से जयदा तरह की फ़ार्मा प्रोडक्ट बेचता है ।तब जा कर साल में 82 बिलियन का सेल करता है ।
अब सोचिए अमेरिका कि पिछले साल की GDP 21 बिलियन और सबसे बड़ी फ़ार्मा का सेल 82 बिलियन ।
और एक ट्रिलियन में 1000 बिलियन होते है । कुछ आइ बात समझ में । कोरोंना से कितना कमाएँगे अमेरिका या चीन वाले ?ऊँट के मुँह में ज़ीरा भी नहि है । ( सारे फ़िगर USD में है )
कुछ कह रहे है की सारे वैक्सिन और दवाई अमेरिका ही क्यो बनाती है । अरे भाई वह लोग ख़र्च करते है इसके लिए R&D और PHD के लिए । दूसरे देश कितना ख़र्च करते है ? अपने देश में तो PhD करते हुए 40-50 हज़ार कमाने वाले को बेरोज़गार कहते है और चपरासी का काम करने वाले 15-20 हज़ार कमाने वालों को नौकरी वाला । R& D के लिए कितना ख़र्च करती है हमारी सरकार । फिर दवा का इजाद कौन करेगा ?
कुछ कह रहे है की चीन में कैसे ख़त्म हो गया । अरे भाई चीन ने चार महीने की लड़ाई के बाद सफलता पाई है । जादू से नहि हुआ है इसके पीछे उनकी मेहनत और तकनीक में उन्नति है ।
कुछ कह रहे है बुहान से पूरे चीन में नहि फैला पर दुनिया में फैल गया । अरे भाई बुहान व्यापारिक राजधानी जैसा है । पूरी दुनिया से हज़ारों लोग सफ़र करते है वहाँ । बुहान से बीजिंग रोज़ ऊतने लोग सफ़र नहि करेंगे जितना पूरी दुनिया से करेंगे । यही कारण पूरी दुनिया में फैल गया ।
लेख पहले ही काफ़ी बड़ा हो गया है इसलिए जल्दी से इसके घातक होने या ना होने पर बात कर लेते है ।
चलिए एक बार मान लेते है की कोरोंना एक नोर्मल फ़्लू जैसा है ।पर यह तो सच है की यह हुमंन टू हुमंन बहुत तेज़ी से फैल रहा है।
अब मान लीजिए की यही आपका नोर्मल फ़्लू कल दस हज़ार लोगों को फ़्लू हो जाय , या एक लाख लोगों फ़्लू हो जाय या एक करोड़ लोगों को फ़्लू हो जाय तब क्या होगा ?
क्या उन एक करोड़ लोगों को नोर्मल फ़्लू की दवा पहुँच पाएगी । नहि इतनी कैपसिटी नहि है । और एक करोड़ से दस करोड़ तक कब पहुँच जाएगी आप कल्पना भी नहि कर सकता।

और ज़ाहिर सी बात है जब इस नोर्मल फ़्लू की दवा नहि मिलेगी तो क्या वह नोर्मल फ़्लू जानलेवा नहि होगा ?
इसलिए समझिए इसे भले ही कोरोना कम घातक हो सकता है । पर उसमें जान लेने की क्षमता बहुत -बहुत जयदा है ।
इसलिए गम्भीरता को समझिए ऐसे विडीओ और मैसेजो को पढ़ सुनकर इसे हल्के में ना लीजिए । सरकार के दिशा निर्देशो का कड़ाई से पालन कीजिए । सिर्फ़ यही एक रास्ता बचा है ।