
मुंबई: साल 2103 में आयल 100 डालर प्रति बैरल से जयदा थी । साल 2105 से क़ीमतें 50 डालर के आसपास ही है । इसके बावजूद यहाँ पेट्रोल डीज़ल की क़ीमतें बढ़ती जा रही है ।
जब भारत तेल 100 डालर प्रति बैरेल ख़रीदता था साल 2013 के आसपास तब यहाँ पेट्रोल की क़ीमत 60-65 रुपए लीटर थी । उसके बाद जब क़ीमतें आधी से भी कम हो गई उसके बाद भी पेट्रोल की क़ीमतें कम नहि हुई बल्कि बढ़ती ही गई है ।
भारत पेट्रोल का उत्पादन नहि करता वह सीधे अरब देशों से ख़रीदता है । और जब वह आधे से कम क़ीमत में खरीद रहा है तो उसका फायदा आम पब्लिक को क्यों नहि पहुँच रहा ? वह भी एक -दो साल नहि पूरे 5 सालों से अंतर राष्ट्रीय क़ीमतें गिरी है ।
फिर आम जनता को इसका फ़ायदा क्यों नहि मिल रहा है ?
अभी हाल में ही फ़ानेनस मिनिस्टर सीतारमण जी से किसी पत्रकार ने पूछा इसके बारे में तो वह सिर्फ़ मुस्कुरा कर चली गई कोई जवाब नहि दिया की फ़ायदा जनता को क्यों नहि दिया जा रहा है ?
आप सोचिए जब जनता को फ़ायदा नहि मिल रहा है इसका तो फ़ायदा किसे मोल रहा है ? आपको याद है रिलायंस के पेट्रोल पम्प देश भर में बंद हो रहे थे और अब ?
देश में पेट्रोल कुछ ही निजी कम्पनीज़ और सरकारी कॉम्पनिज पेट्रोल बेचती है ।
ज़ाहिर है फ़ायदा निजी कोंपनिज और सरकार का हो रहा है ।
निजी लोगों को फ़ायदा पहुँचाया पर आम जनता का ध्यान नहि है? सरकार को इतना फ़ायदा हुआ है फिर भी सरकार को पैसे कम पड़ रहे है और बार बार वह RBI के पास पहुँच जाती है पैसे के लिए ।
कभी आपने सोचा है की सरकार को पैसे कम क्यों पड़ रहे है ? तेल से पिछले पाँच सालों में ही इतना फ़ायदा हुआ है पर जनता को कुछ नहि मिला ।

अगर आप तेल की क़ीमतों का बढ़ना घटना हल्के में ले रहे है तो आप बड़े ना समझ है । यह तेल की क़ीमतें सीधे तौर पर आपकी निजी ज़िंदगी से जुड़ी है । ना की सिर्फ़ चार पहिया वाले वाहन मलिकों से ।
आप जो भी रोज मार्रा की चीज़ें ख़रीदते है साग-भाजी ,चावल -दाल ,कपड़े सब की क़ीमतों का असर पड़ता है तेल की क़ीमतों से तेल की क़ीमतों के साथ यह भी बढ़ जाते है ।
जितने भी उद्योग धंधे है उन्मे लोजस्टिक / फ़्रेट एक बड़ा कोस्ट होता है जिसे तेल की क़ीमतें प्रभावती करती है ।
आपके घरों में पहुँचने वाली बिजली भी इसी तेल से मिलती है ।
कुल मिला कर तेल की क़ीमतें आपकी ज़िन्दगी से सीधी जुड़ी होती है । तेल की क़ीमतों में कमी आना आपकी ज़िंदगी को आसान बना सकती है ।
बेहद आस्च्र्य की भारत की आम जनता अपनी सरकार और अपने नेता के प्रेम में इतने लींन हो जाते है की इन्हें अच्छा बुरा नहि दिखाई देता । उन्हें अपना हित और देश हित नहि दिखाई देता । उन्मे इतना विवेक नहि बचा होता की वह सरकार के विरोध में नहि खड़े हो पाते , वह नहि पूछ पाते की यह CAA / NRC छोड़िए पहले यह बताइए की तेल की क़ीमतें कम क्यों नहि हो रही?
और इसीलिए आपको कम हुई क़ीमतों का फ़ायदा नहि मिल रहा है क्योंकि आपको तो उसकी ज़रूरत नहि है ? आपको जो चाहिए वह मिल रहा है ।CAA/ NRC, धारा 370 , मंदिर -मस्जिद , धार्मिकता और क्या चाहिए ?
जब तक भारत में इस तरह का प्रेम अपने अपने नेताओ के लिए चलता रहेगा ना देश का भला होगा ना आपका ।