देश में जनरल डिब्बों की हालत क्या है, पैर धरने की जगह छोड़िए, सांस लेने की जगह भी जनरल डिब्बों में नहीं रहती. लोकल डिब्बों, जनरल डिब्बों की हालत सुधारने की जगह सरकार धर्म कर्म में लगी हुई है. कल प्रधानमंत्री ने वीडियो-कॉन्फ्रेंस करके एक ट्रेन का उद्घाटन किया. ट्रैन का नाम “काशी महाकाल एक्सप्रेस” है. इसी ट्रैन के B5 डिब्बे में, 64 नम्बर सीट, शिव मंदिर के लिए रिजर्व कर दी गई है.

मतलब आपका नेता आपको इतना अधिक मूर्ख मानता है कि उसे यक़ीन है कि ये लोग जनरल डिब्बों की हालत पर सवाल न करके, कैंटीनों को प्राइवेट हाथों में देने पर सवाल न करके, ट्रैन में शिव मंदिर से खुश हो जाएंगे.
इसी देश में अन्य धर्मों, मतों, सम्प्रदायों के लोग बराबर के नागरिक हैं, संविधान निर्माताओं ने तय किया था कि देश पंथनिरपेक्ष रहेगा. यानी राज्य, सरकार किसी विशेष धर्म का पक्ष नहीं लेगी. लेकिन यहां अलग ही लेवल पर चल रहा है.
इसमें नेताओं की ही गलती नहीं है.जब जनता ही बाबाजी, पैंगापंथिओ, ढोंगियों और पंडाओं को चुनकर संसद भेजेगी तो विकास के नाम पर वह सिर्फ मंदिर-गुरुद्वारा ही बनाएगा, दीपोत्सव करेगा, गंगा यात्रा निकालेगा, और आरती करेगा..
वैसे क्या पता कि सरकार ने ये सोचकर शिव मंदिर स्थापित किया हो कि, क्या पता इससे खुश होकर शिव जी की ऐसी कृपा हो कि जनरल डिब्बों की हालत खुद ही सुधर जाएं, इससे जनता के खून-पसीने का पैसा भी बच जाएगा. उस बचे हुए पैसे से अन्य रेलगाड़ियों में भी मंदिर बनाया जा सकेगा.. इस तरह देश की सभी रेलगाड़ियों की हालत स्वतःस्फूर्त तरीके से सुधर जाएगी. इसलिए शिवमंदिर को तत्कालिक लाभ की दृष्टि से न देखकर, दूरदृष्टि से देखने की जरूरत है. इसका फायदा भविष्य में दिखेगा.. मोदी जी ने किया है, तो कुछ सोचकर ही किया होगा..

भारत के नेता ट्रेनो में सुविधाओं की बजाय मंदिर बनाना जयदा ज़रूरी समझते है क्योंकि उन्हें पता है की यहाँ की जनता को क्या चाहिए । वह जानते है की यहाँ जनता रोज़गार और रोटी मिले ना मिले पर धर्म ज़रूर मिलना चाहिए ।इसलिए ग़लती नेताओ की नहि है ।
Shyam Meera Singh जी की वाल से