सामान खरीदने वाला वर्ग बड़ा नहीं हो रहा है. इस वजह से उत्पादन में ठहराव है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ नहीं है. एफएमसीजी से लेकर ह्वाइट्स गुड्स के क्षेत्र में ठहराव है.
मध्य वर्ग का विस्तार रुक गया है.
मध्य वर्ग का विस्तार सवर्ण जातियों में काफी हद तक हो चुका है.
अब मध्य वर्ग का ज्यादातर विस्तार मझौली और कभी अछूत मानी गई जातियों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के नीचे के तबकों में होना है.
भारतीय समाज व्यवस्था इसकी इजाजत नहीं देती कि इन तबकों तक धन और समृद्धि पहुंचे
बाजार चाहता है कि मध्य वर्ग का विस्तार हो. समाज व्यवस्था, खासकर जाति व्यवस्था चाहती है कि ऐसा न हो.
मौजूदा दौर की सबसे बड़ी लड़ाई बाजार और जातिव्यवस्था के बीच है.
वंचित जातियों में मध्य वर्ग के सृजन का सबसे बड़ा उपकरण आरक्षण है.
समाज व्यवस्था इससे दुखी है. वह आरक्षण का अंत चाहती है.
वंचित जातियों के लोग मध्य वर्ग में शामिल न हों, इसलिए आरक्षण का विरोध किया जा रहा है.
ऐसा करना धार्मिक दृष्टि से सही है, क्योंकि शूद्रों के धन संचय पर शास्त्रों में रोक है.
बाजार और आरक्षण इन दोनौं का साक्षा हमला जाति व्यवस्था पर है.
शहरीकरण का भी दबाव जाति व्यवस्था पर है.
जाति व्यवस्था अगर जीत जाती है, तो भारत दुनिया का सबसे पिछड़ा और गरीब देश बना रहेगा.
जाति व्यवस्था से टकराए बिना भारत की अर्थव्यवस्था आगे नहीं बढ़ सकती.
मौजूदा समय में जातिवाद को बचाना आरएसएस और ब्राह्मणवादियों की सबसे बड़ी चिंता है क्योंकि बाजार और आरक्षण ने उसकी जड़ों को हिला दिया है.
इस प्रक्रिया को रोकने के लिए ही आरएसएस ने मुसलमानों का हव्वा खड़ा किया है, वरना मुसलमान शासन के दौरान सवर्ण हिंदुओं के सुख में कोई कमी नहीं आई थी.
जाति व्यवस्था के नाश और भारतीय मध्य वर्ग के वंचित जातियों में फैलने से ही भारतीय अर्थव्यवस्था आगे बढ़ सकती है.
जाति और बाजार का अंतर्विरोध मौजूदा दौर में भारत का प्रमुख अंतर्विरोध है.
जाति व्यवस्था ने बाजार के साथ जिंदा रहने के तरीके ढूंढने शुरू कर दिए हैं.
सम्पादक पत्रकारिता एवं जनसंचार विषय में यूजीसी नेट व शोधार्थी है । पिछले 10 सालों से पत्रकारिता और लेखन से जुड़े है । इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र आंदोलन से निकले एक्टिविस्ट अजय प्रकाश सरोज के कई शोध पत्र , लेख प्रकाशित हैं। समाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर लिखते है । साथ ही राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में भाग लेते रहते हैं ।
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