स्वामी विवेकानंद को भारतीय और हिंदू होनें पर गर्व क्यों था ?- डॉ. अजय प्रकाश

12 जनवरी , स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिन पर भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता हैं । क्योंकि उन्होंने हमेशा युवाओं की बात कहीं ! जब बालक नरेन्द्रनाथ विवेकानंद हुआ तब भी उन्होंने युवाओं से कहाँ की गीता पढ़ने से बेहतर हैं फुटबॉल खेलों .इससे शारीरिक व मानसिक विकास होगा ! उन्होंने हमेशा वैश्विक धरणा को तरजीह दीं उन्होंने भारत के लोगों को अरब के मुसलमानों से साफ-सफाई और स्वच्छता सीखने को कहा था जो रेगिस्तानी कारवां में भी अपने खाने पर धूल नहीं पड़ने देते.

11 सितंबर सत्र 1893में अमेरिका में हुए अंतराष्ट्रीय धर्म कांग्रेस में को सम्बोधित करतें हुए उन्होंने नें कहा था कि मुझें हिंदू होने पर गर्व हैं क्योंकि हमनें सभी धर्मों के सच को स्वीकार किया हैं और मुझें भारतीय होने पर इसलिए गर्व हैं कि हम उस देश में पैदा हुए हैं जो शरणागत हुए किसी भी इंसान का बिना धर्म और राष्ट्र पूछें उसे अपनाया हैं.

आज अगर विवेकानंद जी होतें तो धर्म के आधार पर भेदभाव करने वालें कानून के ख़िलाफ़ खड़ें होतें तो भक्तगण उन्हें भी देशद्रोही बतातें .स्वामी विवेकानंद जी ने किसी समय में वर्णाश्रम की वैज्ञानिक व्यवस्था को अंशतः स्वीकारते हुए भी उन्होंने जाति-व्यवस्था की इतनी कटु भाषा में आलोचना की है, जितना उनके समकालीनों में महात्मा जोतिबा फुले के अलावा और शायद किसी ने नहीं की है

विवेकानंद के साहित्य का सबसे बड़ा हिस्सा जातिवाद और पुरोहितवाद के खिलाफ ही है. लेकिन फिर भी उनके हिन्दू होने पर गर्व करने वाले बयाँ को हिंदुत्व के प्रतीक के रूप में दिखाए जाने की कोशिश होती हैं जबकि उनका हिन्दूपन अलग किस्म का था , वह यह था कि मैं सभी धर्मों का आदर करने वालें धर्म हिन्दू को मानता हूं ना कि धर्म व जाति के आधार पर भेदभाव करने वाले हिंदुत्व को .आज हमें उनके विचारों को अपनाने की आवश्यकता हैं ! विवेकानंद जी के जन्मदिन पर कोटि कोटि नमन

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