अर्थव्यवसथा पर नोटबंदी और जीएसटी द्वारा कि गई बर्बरता अब अपना असर दिखाना शुरू कर दीया है। ये आंकड़े बेहद भयावह और चौंकाने वाले है। जब नोट बंदी और दोषपूर्ण जीएसटी जैसे अराजक फैसले सरकार द्वारा लिए गए तो लाखों की संख्या में उद्योग और नौकरियां बर्बाद हुई।पहले तो आप केवल आर्थिक आंकड़ों को गिरते हुए देख रहे थे लेकिन अब धरातल पर इसका क्या असर हो रहा है वो दिखने लगा है।
- नीति आयोग की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार देश भर में भुखें लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। देश भर के 24 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश 2018 की तुलना में अब और भुखमरी के शिकार हो गए हैं। 2018 के एसडीजी इंडेक्स जहां भूखमरी के मामले में 48 था वो 2019 में घटकर 35 हो गई।
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नीति आयोग की ही रिपोर्ट कहती है की साल 2018 की तुलना में देश भर में गरीबी में भी वृद्धि हुई है। जहां 2018 में एसडी जी इंडेक्स गरीबी के मामले में देश का 54 था वहीं घटकर 50 ही रह गया है। देश भर के 22 राज्यो और केंद्रशासित प्रदेशों में गरीबी बढ़ी है। जबकि नीति आयोग का ही कहना है की साल 2005-2006 से साल 2015 इं दस वर्ष में देशभर में गरीबी बेहद तेजी से घटी थी।
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तीसरा चौंकाने वाला आंकड़ा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार देश में बेरोज़गारी से आत्महत्या करने वालों की संख्या किसानों द्वारा कि जाने वाली आत्महत्या से अधिक हो गई है। देश में हर 2 घंटे में 3 बेरोजगार आत्महत्या कर रहे हैं। ये बेहद चिंताजनक है। साल 2018 में 10349 किसानों ने आत्महत्या की और 12936 बेरोजगारों ने आत्महत्या की है।
तो इस NRC और यूनिवरसिटी की बर्बरता के बीच अर्थव्यवस्था पर की गई बर्बरता के परिणामों को ध्यान देते रहने की जरूरत है सरकार कहीं इसी को छुपाने के लिए सारा खेल तो नहीं खेल रही।