दिनांक 2 नवंबर 2019 को नई दिल्ली स्थित इंडियन इंटरनेशनल सेंटर में “भारतीय प्रजातंत्र की चुनौतियां” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन थे जबकि संयोजक डॉ शीतला प्रसाद (पूर्व महानिदेशक, राष्ट्रीय अभिलेखागार) थे। संगोष्ठी ग्रेटर नोएडा स्थित एक स्वयंसेवी संस्था प्रगतिशील प्रबुद्ध भारत अभियान के तत्वाधान में आयोजित हुई।
प्रबुद्ध भारत अभियान के अध्यक्ष डॉ शीतल प्रसाद ने अपनी संस्था के क्रियाकलापों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी संस्था समाज में धार्मिक कट्टरता को खत्म करना है ताकि समाज में संवैधानिक तथा प्रजातांत्रिक मूल्यों को मजबूती मिले ।जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन ने कहा कि प्रजातंत्र तभी सफल माना जा सकता है जब सभी साक्षर हो, समाज गरीबी मुक्त हो, और सबको रोजगार मिले ।प्रजातंत्र की सफलता के यही तीन पैमाने हैं ।ज्ञातव्य हो कि जस्टिस बालाकृष्णन के मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल के अंतर्गत पूरे देश में सरकारी स्कूल में मध्यान्ह भोजन लागू करने का निर्णय सुनाया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जैसे जस्टिस जसपाल सिंह ने इस बात पर बल दिया कि पाकिस्तान की गलतियों से हमें सीखते हुए धार्मिक सद्भाव और धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करने की आवश्यकता है।
डॉ. आलोक प्रसाद (प्रोफेसर, इलाहाबाद विश्वविद्यालय) ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि प्रजातंत्र की सफलता के लिए आर्थिक समानता होना और सामाजिक भेदभाव का खात्मा जरूरी है। उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित पुलिस अधिकारी डॉ. बी.पी. अशोक ने कहा कि जाति प्रथा के विरुद्ध कानून बनना चाहिए क्योंकि जातिवाद राष्ट्रवाद के विरुद्ध है। कासगंज के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश श्री नवनीत कुमार ने कहा कि भारतीय संविधान भारतीय प्रजातंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ है। इस कार्यक्रम में अशोक पासी, प्रदीप कुमार, अजीत भास्कर, मोहन धनराज, गौरव दयाल, प्रगति, निवेश, सरला, सतीश नागर, हरीश भाटी, इत्यादि ने भाग लिया।