इलाहाबाद विश्वविद्यालय मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विक्रम द्वारा शोध छात्र को दिये गए नोटिस का जवाब प्राक्टर प्रो० राम सेवक दुबे जी को दिनांक 22 अप्रैल 2019 को दिया जा चुका है। इसके बावजूद भी वह अपनी पता नही कौन सी निजी खुन्नस निकालने का प्रयत्न लगातार कर रहे है। ऐसा लगता है कि वे शोध छात्र को विश्वविद्यालय से निकलवा कर ही दम लेंगे। ध्यातव्य है कि उक्त मामले की फ़ाइल प्रॉक्टर सर के पास मौजूद है। जिसमे शोध छात्र से 35000 रुपये उनके द्वारा ट्रान्सफर कराया गया । जिसमें 10000 दिए है बाकी 25000 अभी तक नही दिये है । 2018 में सेमिनार के दौरान प्रोफेसर साहब ने एक वोल्टास की ac और 50000 रुपये की मांग भी शोध छात्र से की।जिसे शोधार्थी नही दे सका विवाद उसी वक्त से प्रारंभ हुआ सितंबर 2018 का प्रकरण धीरे धीरे चलता रहा किंतु एकाएक 12 अप्रैल 2019 को प्रोफेसर साहब आक्रामक वार करते हुए एक वेहद खतरनाक गंभीर आरोपों से युक्त नोटिस शोधार्थी को दे डाली जिससे वह विश्वविद्यालय से बाहर हो जाये। परन्तु उस नोटिस का जवाब सबूतों के साथ शोधार्थी द्वारा प्रस्तुत किया गया।जिससे प्रोफेसर साहब की मुश्किलें बढ़ गयी। ज्ञात हो कि डा विक्रम हरिजन द्वारा शोध छात्र को आर्थिक ,मानसिक व शारीरिक शोषण लगा तार किया गया। शोधछात्र द्वारा vc को प्रार्थना पत्र देकर अपना गाइड बदलने के आवेदन के बाद भी डा विक्रम न तो noc दे रहे है और न ही विगत 7 महीने से बिल फार्म पर साइन कर रहे है अर्थात लगभग 2,80,000 रुपये इन्होंने जिद बस रोक रखा है और न ही यह रिसर्च कराने को तैयार है। उनका कहना है कि वे पीएचडी डिसमिस कराएंगे।
जहाँ तक प्रश्न हिन्दू संगठनों के द्वारा मॉब लिंचिंग का है तो स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह उनके द्वारा फैलाया गया प्रोपेगंडा है जिसमें कोई सच्चाई नहीं है आए दिन अखबार में यह बयान दे रहे हैं कि वह माफी मांग रहे हैं साथ ही यह भी कह रहे हैं कि उनका उद्देश्य छात्रों को भाग्य के भरोसे नहीं बल्कि कर्म के भरोसे प्रयास करना चाहिए यदि इस वीडियो में इन्होंने आडंबर पाखंड कुरीतियां आज का विरोध किया है तो ऐसा विरोध तो तमाम लोग करते हैं फिर उन सबकी मॉब लिंचिंग क्यों नहीं हो जाती आज के अखबार में दिया गया था कि वह एक हिंदू है और वह हिंदू धर्म के खिलाफ कैसे बोल सकते हैं मुझे लगता है कि वह जब अपने तथाकथित बयान में फंस गए तो एक नया प्रोपेगंडा शुरू कर दिया मेरा प्रश्न है कि जब आप हिंदू ही हैं तो हिंदू धर्म के देवी देवताओं को गाली गलौज क्यों करना शिवलिंग पर पेशाब करने का उदाहरण क्यों देना शायद हिंदू धर्म के अलावा वह किसी और धर्म पर टीका टिप्पणी किए होते तो उन्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ गया होता यदि वह रैशनलिटी की बात करते हैं तो उन्हें अपने बयान पर कायम रहना चाहिए था एका एक माफी मांग लेना उनके गलत होने का सबूत पेश करता है। समाचार पत्रों के माध्यम से यह भी देखने को मिला कि उन्होंने पूरे प्रकरण को नया डायरेक्शन दे दिया है जिसमें वे कह रहे हैं कि उन्हीं के विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसरों द्वारा उनके खिलाफ साजिश की जा रही है जो बिल्कुल भी सही नहीं है एक शोध छात्र अपनी लड़ाई स्वयं लड़ रहा है उन्हें दूसरों के ऊपर आरोप लगाने से बचना चाहिए।
रंजीत कुमार
शोध छात्र प्राचीन इतिहास विभाग। इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज 8004705381