एक दिन खेल दिवस मनाने से वाह फोटो खिंचवाने से कुछ नहीं होता । खिलाड़ियों के लिए रात दिन एक करना पड़ता है खिलाड़ी भी एक वृक्ष के पौधे के समान है। आज बीज लगाएंगे तो एक दिन वह जरूर फलित होगा और वह फल भारतवर्ष का होगा ।
खिलाड़ियों की इज्जत की जाती है ।खिलाड़ियों का सपोर्ट किया जाता है तन मन धन से ताकि गरीब घर का बच्चा भी भारत का प्रतिनिधित्व कर सकें । स्कूल कॉलेज के बच्चे खेल का हिस्सा बने वह भारत के लिए मेडल लाएं ।
हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है पर यह हमारी स्थितियां क्या है राष्ट्रीय खेल का स्तर गांव में जा कर देखिए कोई हॉकी नहीं जानता। वह खेल दिवस दादा ध्यानचंद जी के जन्म दिवस के उपलक्ष में मनाया जाता है। जो कि दादा ध्यानचंद जी इलाहाबाद के जन्मे हैं। और पूरे इलाहाबाद में कहीं पर भी दादा ध्यान चंद की एक भी प्रतिमा नहीं है । जिस पर माल्यार्पण किया जा सके ना की हॉकी का कोई टर्फ ग्राउंड है ।
सभी लोग खेल दिवस मनाते पर खिलाड़ियों का कोई भी सपोर्ट नहीं करता । प्रधानमंत्री जी द्वारा कई योजनाएं आई जैसे हम फिट तो इंडिया फिट सब लोग सपोर्ट कर रहे हैं। पर ग्राउंड कहीं पर भी नहीं है। इस सम्बंध में कुछ पूर्व अमर उजाला ख़बर प्रकाशित कर झूँसी में खेल ग्राउंड की मांग को जरूरी बताया था।
झूँसी के हॉकी कोच विजय ने अपने फेसबुक पोस्ट पे लिखकर अपील की है हमारी बात शासन प्रशासन तक पहुंचाएं. यहां की बच्चों के भविष्य का सवाल है. जब बच्चे खेलेंगे तभी तो फिट होंगे. फिट होने के लिए ग्राउंड चाहिए. मीडिया भाइयों से भी निवेदन है कि मेरी बात को आगे तक पहुंचाएं.
विजय सिंह ,हॉकी कोच . 9532617743 .