यह मौसम हर साल बहुत सितम ढाता है हमारे चिकित्सक बन्धुओ ओर आम जनमानस पर भी ॥चिकित्सक मरीज देख करके जितना परेशान नही होता है उससे ज्यादा परेशान होता है आपके उस सवाल से की मरीज कब ठीक होगा ।क्योंकि उसको भी इस बात का पता नही होता की मरीज कब ठीक होगा किन्तु यह अवश्य पता होता है की मरीज ठीक अवश्य होगा ।।
यह मौसम है वायरल बुखार(viral fever ) का। जिसमें की हमारे मध्य तीन तरह के वायरल बुखार भारतवर्ष को प्रमुखता से प्रभावित कर रहे है ।।।
(1) प्रथम -बहुत तेज़ बुखार , बहुत तेज़ बदन दर्द , 3से 5 दिन तक – साथ ही जोड़ो का दर्द चिकुनगुनिया का एहसास देता है साथ ही शरीर पर लाल दाने और खुजली के साथ ।।
यह बुखार डराता बहुत है परंतु स्वयं ही ठीक हो जाता है। यह चिकुनगुनिया नहीं है।
(2)दूसरा है सर्दी जुकाम और खांसी के साथ बुखार। 5 दिन तक तेज़ और मध्यम बुखार , फिर 5 से 7 दिन तक खांसी आना ।
यह भी अपने आप अथवा सामान्य की दवाओं से ठीक ठीक जाता हैं।
(3)तीसरा ओर सबसे महत्वपूर्ण बुखार है डेंगू (DENGU)जो की बहुत कम मरीज़ों मैं देखा जा रहा है।
इसकी भी शुरूआत साधारण बुखार की तरह ही होती है , तेज़ बुखार के साथ पेट दर्द , उल्टी और शरीर पर लाल चकत्ते। और अगर छेड़ छाड़ ना करी जाये तो यह भी अपने आप ही ठीक हो जाता है।
बड़ी बड़ी खबरे हैं समाचारों मे इन बुखार की पिछले कुछ सालो से देखने व पढने मिलती रही है ।आजकल सभी डरे हुए हैं।।।।
बन्धुओ एक बात स्पष्ट करना चाहता हू कि न तो ये बुखार हमारे लिए नये है न ही कोई समस्या है सदियो से यह बीमारिया होती रही है अन्तर सिर्फ इतना आ गया है ।हमारी बढ़ती जनसंख्या का घनत्व , ओर सबसे अहम है बढ़ती गन्दगी
इन बीमारियों के जटिलताओ (complications) को बढ़ाने में नयी दवाईया जिनका हम बिना किसी चिकित्सीय सलाह के प्रयोग करते है इनमे प्रमुख है निम्युस्लायड ( Nemosilde) , आइबूप्रोफेन(Ibuprofen), मेफानिमिक एसिड (Mefenamic acid )इत्यादि ; जिनका इस्तेमाल बुखार व दर्द को कम करने में किया जता है। बुखार तो तुरंत कम हो जाता है परंतु बढ़ा देता है जानलेवा जटिलता (complications)को ।
इनमे सबसे खतरनाक निम्युस्लायड((Nemosilde)
इलाज़
- इन सब बुखारों का इलाज़ है धैर्य और आराम।
बुखार तेज़ होने पर या ज्यादा बदन दर्द के लिए पेरासिटामोल। नल के पानी से बदन पोछना और थोड़ा ठन्डे मैं रहना।
जितना हो सके तरल पदार्थ जैसे पानी सरबत ,जूस,कोल्ड ड्रिंक्स ले ओर कोई भी तेज दवा ना ले ।।।।
विशेष अनुरोध एक चिकित्सक का
अपने चिकित्सक को अनावश्यक परेशान ना करे ना ही खुद परेशान हो ।यह देखा गया है कि बुखार शुरू होते ही मरीज़ जांच के लिए दबाव बनाते है मै एक बात जोर देकर कहना चाहूंगा कि जब तक बुखार 7 दिन का ना हो जाये कोई जांच ना कराये क्योकि 7 दिन से पहले कोई भी जाँच सही रिपोर्ट नहीं देती है
डेंगू ओर चिकुनगुनिया मे 7 दिन से पहले पॉजिटिव (postive )नही आती है
ठीक इसी तरह से टाइफाइड बुखार के लिए विडाल टेस्ट भी 7 दिन से पहले केई रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो यह फाल्स पॉजिटिव है इस पर कोई बिस्वास ना करे इसकी अहमियत नही है
जब तक प्लेटलैट 15000 से कम ना हो कोई टेंशन नहीं ले।।प्लेटलैट चढाने की जरूरत नही है ।
- इन सभी बात का ध्यान रखे चिंतामुकत सुखी जीवन का आनंद ले ।।
धन्यवाद
डाॅ.रमेश रावत
( 78009777008)