भारत में डाइवर्सिटी मैन के नाम से सुविख्यात बहुजन डायवर्सिटी मिशन के अध्यक्ष व वरिष्ठ लेखक एचएल दुसाध नें अपने प्रिय बुद्धजीवी डॉ.कौलेश्वर प्रियदर्शी को एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नत होने पर उनके साथ लिखी गई पुस्तक का कवर भेंट कर बधाई दीं हैं।
क्या लिखतें है दुसाध –
आज पूरा देश जहाँ रवीश कुमार को बधाई देने में जुटा है, वही कल से ही कुछ लोगों को एक बहुजन गुरुजन की पदोन्नति पर जश्न मनाते देख मुझे अतिरक्त ख़ुशी महसूस हो रही है. कारण, जिस डॉक्टर कौलेश्वर प्रियदर्शी के एसोसिएत प्रोफ़ेसर बनने पर मेरे ढेरों लोग एफबी पर बधाई सन्देश भेंजे हैं; दिल खोलकर उनकी उपलब्धियों का उल्लेख किये हैं, वह डॉ. प्रियदर्शी डाइवर्सिटी मिशन के एक बड़े स्तम्भ हैं, जिनके सौजन्य से डाइवर्सिटी मुव्हमेंट को काफी बढ़ावा मिला है.
अंबेडकर रत्न से सम्मानित है प्रियदर्शी —
गोरखपुर के सथरी गाँव को जन्म से धन्य करने व् २०१८ में उ.प्र.के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के हाथों आंबेडकर रत्न पुरस्कार से सम्मान्तित होने वाले डॉ. प्रियदर्शी उन चाँद बहुजन गुरुजनों में से एक हैं, जो सचमुच पे बेक टू द सोसाइटी के मन्त्र से दीक्षित होकर समाज को यथासाध्य लौटने में सदैव तत्पर रहते है. इसलिए अध्यापन के साथ-साथ आपकी राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों से समाज के बनोबल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. आज की तारीख में वह टीवी चैनलों पर जिस तरह बहुजन पक्ष रख रहे हैवैसा पोरे देश में शायद दस-पांच बहुजन प्रोफ़ेसर ही अंजाम दे रहे हैं. इन सब एकाधिक गतिविधियों के कारण गुरुजनों की भीड़ में आप अलग से दृष्टि आकर्षित करते हैं.
बहरहाल जैसा कि मैंने पहले उल्लेख किया है कि डॉ..प्रियदर्शी के एसोसियेट प्रोफ़ेसर बनने पर व्यक्तिगत रूप से मुझे अतिरिक्त ख़ुशी है, तो उसका कारण यही है कि इनके सहयोग से साहित्य के लिहाज से ‘बहुजन डाइवर्सिटी मिशन’ को साहित्य के लिहाज से देश के समृद्धतम संगठनों में से एक के रूप में डेवलप होने में सबसे ज्यादा मदद मिली. इनके बाद जिस बहुजन प्रोफ़ेसर से इस संगठन को समृद्ध होने में मदद मिली है, वे हैं बुदेलखंड विवि के राजनीति शास्त्र के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ. राज बहादुर मौर्य .भारी व्यस्तता के बावजूद यदि इतनी जल्दी-जल्दी डाइवर्सिटी केन्द्रित किताबें निकाल पाता हूँ तो इसमें आप दोनों का ही खास योगदान रहता है.
डॉ. प्रियदर्शी के साथ मिलकर मैंने ‘अरब जनक्रांति के आईने में भारत में क्रांति की सम्भावना ‘ तथा ‘ सवर्ण और विभागवार आरक्षण: वर्ग संघर्ष के इतिहास में बहुजनों पर सबसे बड़ा हमला.’.इन दो किताबों से मुझे विशेष संतुष्टि मिली है, जो डॉ.प्रियदर्शी के योग्य सहयोग के कारण ही पाठकों के बीच पहुँच पायी. लेकिन बौद्धिक रूप से आपका सबसे बड़ा योगदान डाइवर्सिटी इयर बुक के प्रकाशन में है. औसतन 1000 पेज में निकलने वाली इस वार्षिकी के सह्सम्पादन का जिम्मा मुख्यतः आप पर ही रहा है.जिस डाइवर्सिटी इयर बुक के बिना मुझे डाइवर्सिटी मुव्हमेंट अधुरा लगता है, उसमे आपका जो योगदान है , वह स्मरणीय है. मैंने कल उनको इसलिए बधाई नहीं दी कि इस अवसर उन को गिफ्ट करने लायक मेरे पास कुछ खास नहीं था, पर आज है.
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आज ही मुझे डाइवर्सिटी इयर बुक : 2019-20 का कवर मिला .आज उनकी उपलब्धि के अवसर पर इस कवर को रिलीज कर मुझे भारी सुख मिल रहा है. उम्मीद करता हूँ वे इसे सरप्राइज गिफ्ट के रूप में स्वीकार करेंगे.
इसके साथ ही कामना करता हूँ कि वह बौद्धिक क्षेत्र में नित-नयी ऊँचाइयों को छुएं और अपने ज्ञान से शक्ति के स्रोतों में बहुजनों की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाएं !
बहुत सुंदर
नमो बुध्दाय
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धन्यवाद मित्र, आप भी अपनी खबरें हमे भेजें 9838703861 पर
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जी सर
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नमस्कार सर
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नमस्ते भाई
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