यूपी ,कौशाम्बी लोकसभा में कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश पासी के मैदान में उतरते ही विरोध गुटों में हलचल मची ही हैं। तो वहीं कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं में इस बात के लिए हैरानी हैं कि बिना उनके दरबार मे मथा टेके गिरीश को टिकट कैसे मिल गया ? बस क्या था कि कांग्रेस में टिकटों की ठेकेदारी करने वालें गुट नें पार्टी के भीतर गिरीश विरोधी अभियान चलाना शुरू कर दिया । यह कहकर की प्रत्याशी का आपराधिक रिकार्ड हैं ? आइये जानते है क्या है कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश पासी का इतिहास ….
●अजय प्रकाश सरोज
कांग्रेस ने नेवादा ब्लाक से 3 बार के बाहुबली ब्लॉक प्रमुख रहे गिरीश पासी को लोकसभा से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। गिरीश पासी का नाम क्षेत्र में” साइलेंट ग्लैमर मैंन ” की तरह लिया जाता हैं।कौशाम्बी की यह सुरक्षित सीट कांग्रेस 1989 तक जीतती रहीं है। जिसमे महाशय मसूरियादीन , धर्मवीर भारती, रामनिहोर राकेश सन्सद बनें थें । तब यह क्षेत्र इलाहाबाद में ही था और कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। इस बार कांग्रेस नेतृत्व नें गिरीश पर भरोसा किया हैं।
कौन हैं गिरीश पासी –
गिरीश पासी का नाम वैसे तो तब प्रकाश में आया जब 1990 में एक हत्या के आरोप में पुलिस क्षेत्रीय सामंतो के कहने पर उन्हें इनकाउंटर की नीयत से उठा ले गई और बिना किसी सूचना के दो दिनों तक गुप्त स्थानों पर रखी थीं। जिसे लेकर गिरीश के समर्थकों ने सड़को पर उतरें इसी बीच जनता सरकार में मंत्री रहें राम विलास पासवान का इलाहाबाद शहर आगमन हुआ था उस दौरान शशि प्रकाश चायल से सांसद थें जिनका रामविलास से करीबी सम्बंध था।
गिरीश के समर्थन में गांव के महिलाएं बड़े बुजुर्ग सभी सर्किट हाउस में रामविलास पासवान को घेरकर न्याय की गुहार लगाए तो राम विलास ने उच्य अधिकारियों से बात की लेकिन गोल मटोल जबाव पाकर उन्होंने कहाँ मैं एक मीटिंग में जा रहा हूँ मेरे आने तक गिरीश का पता लग जाना चाहिए ? लेकिन अधिकारियों पर सामंतियों का दबाव था क्योंकि गिरीश के उभार से क्षेत्र में सामंतो का रुतबा कम हो रहा था गिरीश उन सबके लिए चुनौती बन रहे थें। इसीलिए गिरीश को रास्ते से हटाने के लिए पूरी रणनीति तैयार की गई थीं
पासवान ने यूपी के राज्यपाल को दीं थीं धमकी —
मीटिंग खत्म होने पर जब पसवान सर्किट हाऊस लौटें तो देखा कि गिरीश के समर्थकों की भीड़ बढ़ चुकी थीँ राम विलास ने पूछा कि क्या अभी तक गिरीश का पता नही चला ? जवाब था नही ! फिर गुस्से में लाल राम विलास ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रेड्डी को सीधे फोन मिलाया और कहाँ की महोदय आप प्रदेश में बैठकर नवजवानों का इनकाउंटर करवा रहें हैं। गिरीश पासी के नाम के युवक को पुलिस ने दो दिन से गयाब कर रखा अगर उसका इनकाउंटर होता हैं उसकी लाश लेकर मैं पार्लियामेंट ठप करवा दूंगा ! राजनीतिक धमकी मिलने के बाद यूपी के राज्यपाल के हस्तक्षेप से पुलिस ने गिरीश पासी को शो आउट किया फिर रातो रांत उन्हें असलहा चोरी का फर्जी मामला बनाकर जेल भेज दिया ।
इस तरह संयोगवस राम विलास पासवान शहर में आने से गिरीश की हत्या करने वाले षणयंत्रकारी पुलिस सामंतों की साजिश फेल हो गई। गिरीश पासी की लोकप्रियता को देखकर पासवान हैरान थें की कैसा नवयुवक हैं जिसे इतने लोग चाहतें है ! इसके बाद राम विलास ने जनता पार्टी के नेताओं से कहाँ कि गिरीश के गाँव मे मीटिंग लगाओ और मैं वहाँ आना चाहता हुँ और उधर राज्यपाल के माध्यम से पासवान ने इलाहाबाद के एसएसपी को हटाने का अल्टीमेटम दे दिया था , और अपने शागिर्द नेताओँ से कहा की मीटिंग लगने से पहले गिरीश जेल से आ जाना चाहिए। यह दोनों काम हो गये पासवान की मीटिंग हुई जिसमे लगभग 25 हज़ार की भीड़ जमा थीं ।
पासवान इस नवयुवक के लोकप्रियता देखकर प्रसन्न थें । क्षेत्र में इतनी भीड़ उन्होंने पहली बार देखने को मिलीं थीं। फिर पासवान और गिरीश पासी का रिश्ता बहुत आत्मीय हो गया जो असज भी है लेकिन समय के साथ राजनीतिक रिश्ता नही रह गया ।
आपराधिक रिकॉर्ड –
गिरीश के ऊपर छोटे बड़े कुल 17 -18 मुक़दमे दर्ज है लेकिन अधिकतर मामलें में उन्हें बरी कर दिया गया हैं। 4-5 मुक़दमे अभी लंबित हैं। जिसमे से क्षेत्र के सामंत रहें एसपी सिंह की खुलेआम हत्या का आरोप भी गिरीश पर हैं। गिरीश बताते है कि गाँव के सामंतो ने उनके पिता की हत्या 1975 में कर दीं थीं फिर उन्ही के इशारे पर 1984 में मेरे चचा की भी हत्या की गई जिसमें षणयंत्र करके मुझें भी आरोपी बना दिया गया । मैं बारहवीं की परीक्षा दिया था कि पहली बार जेल भेज दिया ।
क्षेत्रीय सामंतो से जंग –
जेल से छूटने के बाद सामंती शक्तियां पुलिस प्रशासन के सहयोग से मेरा और मेरे परिवार का उत्पीड़न कराते रहतें थें । फिर मरता क्यां न करता मैने सोचा कि ऐसी जिंदगी जीने से तो मर जाना ही बेहतर है फिर मैंने अपने साथियों की टीम बनाई और एलान कर दिया कि अब क्षेत्र के सामन्तवादी शक्तियों से मुकाबला किया जाएगा । इस लड़ाई में दोनों तरफ से कई हत्याएं हुई । जिसमें मेरे भी कई साथी मारें गए लेकिन हमने गुंडो माफियाओं ,बन्दूक के दम पर बहन बेटियों की इज्जत लूटने वालें बलात्कारियों को सबक सिखाया और उनको संरक्षण देने वाले सामंतो को भी नेस्तनाबूत कर दिया ।
आज कौशाम्बी में लोग अमन चैन का जीवन जी रहें है । मैं 15 साल ब्लॉक प्रमुख रहा मेरे ऊपर 1 रुपये का कोई आरोप नही लगा सकता ” गिरीश आगे कहते है कि राजनीति मेरा धंधा नही बल्कि समाजसेवा है मैं इसके माध्यम से बाबा साहब के संविधान को पूर्णतया लागू होते देखना चाहता हूं और कौशाम्बी में कानून का राज ईमानदारी से संचालित कराना मेरी प्राथमिकता है, जिसमें गरीबो को न्याय मिल सकें उनका विकास हो जिससे उनके बच्चों का भविष्य उज्जल हो सकें।
राजा भईया से दुश्मनी –
लोकसभा कौशाम्बी वैसे तो अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है लेकिन इसमें प्रतापगढ़ की दो विधानसभा शामिल होने के चलते राजा भइया की दख़ल रहती हैं अब राजा ने अपनी पार्टी बना ली हैं जिसने पूर्व सांसद शैलेन्द्र कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया हैं। नवगठित जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप उर्फ राजा भइया से दुश्मनी के सवाल पर गिरीश कहते हैं कि उनसे मेरी कोई ब्यक्तिगत दुष्मनी नही हैं लेकिन प्रतापगढ़ के लोग मेरे पास आते हैं वे लोग राजा से शोषण और आतंक से परेशान है मुसलमानों में दहशत का माहौल रहता हैं ।
जब मैं 2009 में लोकसभा का चुनाव लड़ा था तो राजा के गुंडों द्वरा बूथ कैप्चरिंग की शिकायत मिली थी मैंने जाँच करवाया तो 200 अपराधी जिनको जेल में होना चाहिए वो बूथ के एजेंट बने थे । इस बात से एसपी से मेरी नोक झोंक हुई थीं अधिकारी भी बेचारे डरतें है।जव इसकी शिकायत उच्य अधिकारियों से की तब स्थिति कंट्रोल में आई ,इसके बाद मुझे प्रतापगढ़ की दो विधानसभा कुन्डा में 29 हजार तथा बाबागंज से 30 के आसपास वोट मिले थें । 2009 मे पूरे लोकसभा में मुझे लगभग 1लाख 91 हजार वोट मिले थे । इस बार भी मुझे अच्छा रिजल्ट मिलने की उम्मीद है । इसके लिए मैंने तैयारी कर रखी हैं।
कौशाम्बी में गिरीश की सामाजिक पकड़-
स्वाभिमान से समझौता न करने वालें गिरीश पासी नेवादा ब्लाक से पहली बार महिला सीट से पत्नी शिखा सरोज को ब्लॉक प्रमुख बनवाने में कामयाब रहें उसके बाद सामान्य सीटों पर भी स्वंय लगातार दो बार निर्विरोध ब्लाक प्रमुख होते रहें। इस बार नेवादा की सीट ओबीसी हो जाने से चुनाव नही लड़ सकें ।
लेकिन पत्नी को जिला पंचायत का सदस्य जरूर बना लिए। कौशाम्बी लोकसभा में कांग्रेस से पासी समाज के बाहुबली नेता गिरीश पासी को उम्मीदवार बनाकर समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन को तगड़ा झटका दे दिया है । उनकी सामाजिक पकड़ बाबागंज कुण्डा विधानसभा में भी बेहतर हैं।
गिरीश कहते हैं कि “मेरा आत्मबल कहता हैं सामंतवाद की लड़ाई में गरीबों का साथ व सहयोग मिलता रहेगा और कौशाम्बी लोकसभा की जनता मुझे अपना आशीर्वाद देकर अपने प्रतिनिधि के रूप में सांसद भेजेगी ! मेरा प्रयाश होगा कि कौशाम्बी की जनता का न्यायपूर्ण विकास हो,क्षेत्र में अमन चैन क़ायम रहें , मैं गरीबों के सुख दुःख का साथी रहा हूं और आगे भी रहूँगा ।
(गिरीश पासी से बातचीत पर आधारित रिपोर्ट)