बसपा सुप्रीमो मायावती गठबंधन पर भारी पड़ने के चलते उपेक्षित पूर्व मंत्री आरके चौधरी सपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। कभी बसपा के बड़े नेताओं में शामिल आरके चौधरी और मायावती की अदावत प्रदेश में जग जाहिर हैं। मायावती नही चाहती कि उनके अलावा अन्य बहुजन नेता प्रदेश में तरक्की करें। जिसे लेकर चौधरी और मायावती का विवाद हमेशा सुर्खियों में रहा हैं।
चार बार के विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री आरके चौधरी ने शनिवार को दिल्ली में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। उन्हें लोकसभा की मोहनलालगंज सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ाया जाएगा। वहां से पूर्व सांसद रामशंकर भार्गव को दिया गया टिकट काटने पर कांग्रेस हाईकमान ने सहमति दे दी है।
आरके चौधरी बसपा के कद्दावर नेता रहे हैं। उन्हें कांशीराम ने बसपा का स्टेट कोऑर्डिनेटर बनाया था। वर्ष 1993 में सपा-बसपा की साझा सरकार बनने पर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
1994 में वे पहली बार बसपा के टिकट पर इलाहाबाद से उपचुनाव जीतकर विधायक बने। इसके बाद तीन बार मोहनलालगंज सुरक्षित सीट से ही जीते। चार बार ही वे मंत्री भी रहे। इसके अलावा दो बार विधान परिषद के नेता सदन भी रह चुके हैं।

2001 में विवाद होने पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने चौधरी को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपना संगठन बहुजन समाज स्वाभिमान संघर्ष समिति (बीएस-4) बनाया।
हालांकि, बसपा से अलग होने के बाद भी वे मोहनलालगंज से विधानसभा चुनाव जीते। बाद में वह सपा में शामिल हो गए थे। आरके चौधरी ने शनिवार सुबह दिल्ली में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मिलने के बाद कांग्रेस की सदस्यता ले ली।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, हाईकमान पूर्व सांसद रामशंकर भार्गव को कमजोर प्रत्याशी मान रहा है। जल्द ही मोहनलालगंज सीट से उनका टिकट काटकर आरके चौधरी को टिकट दिया जाएगा। कांग्रेस के एक राष्ट्रीय नेता ने भी नाम न छापने के आग्रह के साथ इसकी पुष्टि की है।
चौधरी ने बताया कि वे कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। चुनाव लड़ने के बारे में कोई निर्णय पार्टी हाईकमान ही करेगा। चौधरी ने वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव मोहनलालगंज से भाजपा के समर्थन से लड़ा था, लेकिन हार गए।
इसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी जॉइन किया वह अपनी परंपरागत सीट से चुनाव लड़ना चाहतें थे। लेकिन गठबंधन में मायावती का ज्यादा प्रभाव चलने के कारण आरके चौधरी को टिकट नही मिला । जिससे उनके समर्थकों को में बेहद नराजगी थीं।
आरके चौधरी का प्रभाव पासी समाज में ज्यादा माना जाता हैं। कांग्रेस में शामिल होने से गठबंधन को एक बड़ा झटका लगा हैं।