●बाँदा से सपा-बसपा गठबन्धन के प्रत्याशी होंगे भाजपा सांसद श्यामाचरण गुप्त .
●बहुजन समाज हतप्रभ कि क्या मजबूरी है कि प्रत्याशियों को आयात करना पड़ रहा है?
सपा नेता श्री बाल कुमार पटेल जी या दल के समर्पित साथियों को दरकिनार कर भाजपा के सांसद और श्याम बीड़ी के मालिक श्री श्यामाचरण गुप्त जी को समाजवादी पार्टी ने बाँदा से लोकसभा का टिकट थमा दिया है जिसे लेकर बहुजन समाज हतप्रभ है।
आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी आ पड़ी है जब सपा-बसपा गठबन्धन के बाद हम अपने किसी अदना कार्यकर्ता को सिंबल देकर सांसद बना सकते हैं,फिर नेताओ का आयात क्यो?
बांदा में श्री बाल कुमार पटेल हर सुख-दुख, संघर्ष सहित अनुकूल -प्रतिकूल परिस्थितियों के सपा के साथ रहे हैं,कद्दावर नेता व कुर्मी समाज के मजबूत व्यक्ति हैं तो फिर उनकी जगह एक पलटू राम को टिकट थमाना आखिर किस रणनीति का हिस्सा है?
अरे भाई!अगर श्यामाचरण गुप्त जी के मन-मस्तिष्क में समाजवाद इतना ही हिलोरे मार रहा है और भाजपा में जाने का उन्हें प्रायश्चित ही करना है तो जरा उन्हें 5 साल बाल कुमार पटेल की तरह पार्टी में काम करने को कहिए न फिर देखिए तमाशा?यदि ऐसे ही टिकट मिलना है फिर तो ये चुनावबाज,मौसम वैज्ञानिक ही ठीक हैं जो दलों के लोकप्रियता-अलोकप्रियता के हिसाब से दलबदल कर आते-जाते हुए टिकट लेते रहे और बाल कुमार पटेल जैसे लोग समाजवाद का लबादा ओढ़े लाठियां खाते हुए जवानी कुर्वान करते रहें और जब अवसर आये तो शहीद होते रहें।
मुझे श्यामाचरण गुप्त जी बखूबी याद हैं जब इलाहाबाद का युवा प्रशिक्षण शिविर हुवा था।ये सपा सांसद थे और उस आयोजन के आयोजकों में से एक।इन्होंने काशीफल(कुम्हड़ा) का अंबार लगा दिया था।तीन दिनों तक कुम्हड़ा की सब्जी इन्होंने खूब खिलाया था।सपा में सांसद रहे फिर भाजपा के अच्छे दिन आये तो भाजपा से सांसद रहे और अब सपा के अच्छे दिन आये तो सपा से प्रत्याशी?यह क्या माजरा है?क्यो भाई!सपा में नेताओ का अकाल पड़ गया है क्या?क्या सपा में लड़ने लायक लोग नही हैं जब केवल टिकट ही जीत दिलाने का पैमाना है?
देवरिया में सपा और जनता दल का गठबंधन हुवा।देवरिया से मोहन सिंह जी जनता दल से सांसद थे लेकिन सपा में शामिल हो गए थे।शरद यादव जी जनता दल के अध्यक्ष थे।वे अड़ गए कि देवरिया से सांसद जनता दल का जीता है बहके ही वह सपा में है इसलिए यह सीट जनता दल को चाहिए।न चाहते हुये मुलायम सिंह यादव जी को देवरिया सीट जनता दल को देकर मोहन सिंह जी को सलेमपुर से उम्मीदवार घोषित कर पर्चा दाखिल करवाना पड़ा।मोहन सिंह जी के सलेमपुर से पर्चा दाखिला के बाद वहां से पूर्व में तय उम्मीदवार हरिबंश सहाय कुशवाहा जी के पक्ष में स्थानीय कार्यकर्ता बगावत कर दिए।लखनऊ नेताजी के समक्ष प्रदर्शन हुवा और नेताजी ने लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करते हुये मोहन सिंह जी जैसे कद्दावर नेता को वापस ले लिया और हरिबंश सहाय जी पुनः टिकट पाकर पर्चा दाखिल किए और जीत कर सांसद बने और देश के बेस्ट सांसद रह चुके मोहन सिंह जी लोकसभा चुनाव न लड़ते हुये पार्टी का प्रचार किये।
बांदा से श्यामाचरण गुप्त जैसे मौसम वैज्ञानिक,पलटू राम को टिकट थमाना सुपाच्य नही है।बाँदा के साथियों को ऐसी परिस्थिति में जब उम्मीदवार होना ही जीत का सर्टिफिकेट पाना है,सपा नेतृत्व तक अपनी बात पँहुचानी चाहिए तथा मुकामी साथी को टिकट दिलाने की पहल करनी चाहिए।यदि श्यामाचरण गुप्त में समाजवाद की आत्मा प्रविष्ट हो गयी है तो वह प्रचार कर दिखाएं की उनका मकसद अलटू-पलटू बन सांसद बनना नही बल्कि समाजवाद का झंडाबरदार बनना है।
गठबन्धन के बाद तब जब सिंबल ही जीत का प्रमाण है,अपने सुयोग्यतम,संघर्षशील,अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों के साथियो को उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए।इन अलटुओं-पलटूओं की क्या जरूरत?
-चन्द्रभूषण सिंह यादव
प्रधान संपादक-“यादव शक्ति”