संकट ! 200 पॉइंट रोस्टर अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

●डॉ.अरुण कुमार प्रियम/

 

विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्तियों में विश्वविद्यालय/कॉलेज को एक इकाई मानकर 200 पॉइंट रिज़र्वेशन रोस्टर को पुनः बहाल करने के लिए बहुत संघर्ष के बाद आये अध्यादेश पर जैसा हमको आशंका थी वही हुआ। इधर 7 मार्च,2019 को शाम को अध्यादेश आया और सुबह 8 मार्च,2019 को 10 बजे एक सवर्ण पृथ्वी सिंह चौहान ने अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। तर्क वही पुराने। जो तर्क विवेकानंद तिवारी मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया है।

पृथ्वी सिंह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट से इस अध्यादेश को रद्द करने की मांग की है। इधर 7 मार्च की शाम को बहुजन-आदिवासी समाज लंबे संघर्षों के बाद मिली जीत का जश्न मना रहा रहा था और उधर सवर्ण समाज इनको पुनः विश्वविद्यालय और कॉलजों की नौकरियों में जाने से रोकने के लिए बैरियर खड़ा कर रहा था। वर्तमान भाजपा सरकार ने जैसा संसद में वादा किया था कि यदि सुप्रीम कोर्ट में उसकी एसएलपी खारिज़ हुई तो एससी,एसटी और ओबीसी के हितों की रक्षा करने के लिए सरकार विश्विद्यालय/कॉलेज की नियुक्तियों में विश्विद्यालयवार/कॉलेजवार 200 पॉइंट रिजर्वेशन रोस्टर पर कानून लाएगी। सरकार की एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में ख़ारिज हो गयी। फिर जब बहुजन-आदिवासी समाज आंदोलित हुआ तो फिर सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार रिव्यु पिटीशन दायर करेगी। रिव्यु पिटीशन भी खारिज हो गयी। तब तक आम चुनाव नज़दीक आ गया। सरकार फिर प्रेक्षण कर रही थी कि क्या प्रतिक्रिया होती है।

जब एससी-एसटी-ओबीसी समुदाय ने अपने हितों की रक्षा के लिये शांतिपूर्ण आंदोलन करते हुए 5 मार्च,2019 को अभूतपूर्व भारत बंद कर दिया तो सरकार अचानक जागी और प्रकाश जावड़ेकर बोले 2 दिन का समय दीजिये,सरकार अध्यादेश लाएगी। 7 मार्च को अध्यादेश आया लेकिन 8 मार्च को ही सुप्रीम कोर्ट में अध्यादेश को रद्द करने की याचिका भी दाखिल हो गयी। अभी 3-4 दिन के अंदर इस अध्यादेश को रद्द करने की मांग वाली याचिकाएं देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में दाखिल होंगी। पृथ्वी सिंह चौहान के बाद कुछ और याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में और आएंगी। तब बहुत संभव है, सुप्रीम कोर्ट इस अध्यादेश पर स्टे लगा दे। बहुजन-आदिवासी समाज ने जो बड़े संघर्ष से पुनः हासिल किया है,उस पर सुप्रीम कोर्ट पानी फेर देगा। हम सब जानते हैं कि भारत के न्यायालय आरक्षण विरोधी रहे हैं और अब भी हैं। उनमें सुप्रीम कोर्ट भी है। इसलिए ऐसे आरक्षण विरोधी सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से भाजपा सरकार बहुजन-आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को खत्म करवा रही है।

यदि सरकार एससी,एसटी और ओबीसी की हितैसी होती तो वो इनके हितों के लिए विश्विद्यालय/कॉलेज में नियुक्तियों के लिए पुनः कानून बनाकर विश्विद्यालय/कॉलेज को इकाई मानकर नियुक्तियों वाले रोस्टर को बहाल करती। अब आपको तय करना है कि जो सरकार आपके हितों के खिलाफ काम करती है, उसे फिर लाना है या ऐसी सरकार जो आपके हितों की रक्षा कर सके? न्यायालय में आपका प्रतिनिधित्व नहीं है,ये भी आपको ध्यान रखना होगा। जहां आपका प्रतिनिधि नहीं होगा, जाहिर है वहां आपको न्याय नहीं मिलेगा। इसलिए ये मांग भी शिद्दत से उतनी चाहिये कि न्यायपालिका में समाज के हर तबके का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू की जाए। वरना आप लंबे संघर्षों के बाद जो अधिकार हासिल करोगे, वो न्यायालय में बैठे आपके विरोधी खा जाएंगे। आपकी मेहनत पर पूरा समाज पलता है और पलता रहेगा लेकिन आपका वाज़िब हिस्सा आपको नहीं देगा।

इसलिए एक मुकम्मल लड़ाई लड़ने की जरूरत है। लोकसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है। आप अपने लोकतांत्रिक अधिकार, वोट का प्रयोग भाजपा सरकार को हराने के लिए कीजिए। और जो भी सरकार बनाइये उससे देश के हर संसाधन पर अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए बराबर दबाव बनाए रखिये।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s