हम साल 2019 मे है । आधुनिक युग मे है । देश में काफ़ी प्रगति हुई है । लोगों मे जागरुकता बढ़ी है । इस जागरुकता ने लड़का -लड़की के भेद भाव को कम करने की कोशिश की है । और कुछ लोगों ने सचमुच इस भेद भाव को कम किया है मैं ऐसे कई परिवार को जानता हू जो अच्छा कमाते है पर उन्होंने तय किया था की सिर्फ़ एक ही बच्चा पालेंगे चाहे लड़का हो या लड़की । उन लोगों को पुत्री प्राप्त हुई पर लड़का -लड़की एक समान मानते हुए उन लोगों ने लड़के की चाह मे दूसरा बच्चा नहीं पैदा किया । ऐसे लोग सचमुच इस बारे मे बहुत जगरूक है । अपने उत्तर प्रदेश मे ऐसा कम है पर दूसरे प्रदेश के शिक्षित और साधन सम्पन्न लोगों ने ऐसी पहल की है । मैं निजी तौर पर काइयों को जानता हू ।
पर कई बार इस चक्कर मे लोग बड़ी भारी भूल कर जातें है । जैसे अपने यहाँ जागरुकता दिखाने के लिए लोग कहते है
बेटी नहीं बेटा है मेरा .. बेटा! जी मैं तो कभी अपनी बेटियों को बेटी बुलाती/बुलाता ही नहीं हूँ हमेशा बेटा ही कहता/कहती हूँ| कितना सुखद है यह सुनना कि अब लोगों की सोच बदल रही है अपनी बेटियों के प्रति, लोग अपनी बेटियों को बेटा बुलाते हैं बेटी नहीं , है ना!
तो रुकिए जनाब दो मिनट और सुनिए| चलिए बधाई आपको कि आपकी सोच बदल चुकी है, अब थोड़ा और बदलते हैं आपको ..
अब आप अपने बेटे को बेटा नहीं बेटी बुलाइए, बुलाइए.. अरे बुलाइए न सर और फिर जिस समाज में आप रहते हैं वहां के लोगों को इसे भी गर्व से बताइये कि आप अपने बेटे को बेटा नहीं बेटी बुलाते हैं|
क्या हुआ धक्का लगा सुनकर.. या कहीं आप यह तो नहीं सोच रहे कि कैसी अजीब कैसी बहकी बहकी बातें कर रहा हुँ ..ऐसा भी कहीं होता है क्या?
तो जनाब जब आप यह नहीं कर सकते तो वह क्यों करते हैं| मतलब साफ़ है कि आप खुद भी यह मानते हैं कि लड़के और लड़की में अंतर है और इस अंतर में लड़के सुपीरियर हैं| इसीलिए आपको अपनी लड़की को अच्छा फील करवाना होता है तो आप उसे बेटी नहीं बेटा बुलाते हैं|
मुझे बड़ा ही ग़लत लगता है यह की बेटी को सुपरियर दिखाने के चक्कर मे हम उसे बेटा कहते है ….पर इस चक्कर में यह भूल जाते है की हम ऐसा करके बेटे को सुप्रियर बना रहे है ……
क्या हम / आप अपने बेटे को बेटी कह कर बुला सकते है …..??? तो फिर बेटी को बेटा कह कर बेटी का अपमान क्यों …..???
आशा है और भी साथी धीरे धीरे इस बिचार धारा से सहमत होंगे और बेटियों को बेटा कहना बंद करेंगे ।