कानपुर: वर्तमान आंकड़े की बात की जाय तो विश्व मे प्रति 15 मिनट से एक मौत रेबीज से हो रही है , जिनमे प्रति 10 रेबीज से होने वाली मौत मे 4 मौत बच्चो की होती है ।इन मौतो का मुख्य कारण (99% )कुत्ते का काटना है ।।। इसी कड़ी मे
विश्व रेबीज दिवस ,रेबीज की रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 28 सितंबर को मनाया जाता है।
विश्व रेबीज दिवस वर्ष 2018 का विषय “”””””””””रेबीज की जानकारी साझा करें: जीवन बचाएं” “””””””::है। इस विषय के अनुसार कोई भी व्यक्ति अलग-अलग स्तरों पर रेबीज़ की जानकारी सांझा कर सकता है जैसे कि नीति-स्तर पर “वर्ष 2030 तक रेबीज से शून्य मानव मृत्यु” का लक्ष्य प्राप्त करना है ,,,, समुदायिक स्तर पर जानकारी जैसे कि घावों का उपचार, (कुत्ते के काटने के मामले में घाव और पोस्ट एक्सपोजर टीकाकरण देखभाल) और स्कूली बच्चों के लिए कुत्ते के काटने से बचाव की शिक्षा देकर रेबीज़ से बचाव किया जा सकता है।
रेबीज क्या है (What is rabies) ?
रेबीज एक विषाणु जनित रोग है। जब तक इसके लक्षण शुरू होते हैं, तब तक यह हमेशा घातक हो जाता है किन्तु इससे होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है ।।।।
यह जानवरों से मनुष्यों में फैलता है तथा मनुष्यों के लगभग निन्यानबे प्रतिशत मामलों में कारण कुत्ते का काटना होता है। मनुष्य के शरीर में रेबीज़ का वायरस, रेबीज़ से पीड़ित जानवर के काटने, उससे होने वाले घाव और खरोंच एवं लार से प्रवेश करता है। सामान्यतः कुत्ते के काटने के बाद रेबीज के लक्षण एक से तीन महीने में दिखाई देते हैं किन्तु यह निश्चित अवधि नही मानी जा सकती है।।
जैसा कि हम सभी जानते है ओर हमारी जिम्मेदारी यहा बढ़ जाती है बच्चे (मुखयतः5 से 15 वर्ष के ) अपने चंचल स्वभाव के कारण कुत्ते के काटने और रेबीज़ के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं, क्योंकि वे प्राय: कुत्ते के काटने और रोग के बारे में जागरूकता के बिना कुत्तों के साथ खेलते हैं। प्रायः ऐसा देखा गया है कि बच्चे : डांट के डर से बचने के लिए अपने माता-पिता से कुत्ते के काटने के बारे मे छुपाते हैं। कभी-कभी बच्चा कुत्तों के हमला किए जाने पर काटने/खरोंच से अवगत नहीं होता है तथा माता-पिता अक्सर हमले को अनदेखा करते हैं अथवा गर्म मिर्च या हल्दी जैसे घरेलू उत्पादों लगाकर घाव का उपचार करते हैं।
रेबीज की रोकथाम – कुछ विशेष प्रयास
भारत सरकार के रेबीज नियंत्रण एवं बचाव कार्यक्रम के अनुसार लोगो को निम्नलिखित तथ्यों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए-
(1)कुत्ते के काटने से बचने के लिए लोगों विशेषकर बच्चों को कुत्ते के व्यवहार और उसकी शारीरिक भाषा (जैसे कि क्रोध, संदिग्धता, मित्रता) के बारे में शिक्षित करें।
(2)रेबीज की रोकथाम के लिए कुत्ते के काटने पर पोस्ट एक्सपोजर टीकाकरण (काटने के बाद टीकाकरण) लें।
(3)यदि कुत्ता काटता है→साबुन और पानी से दस मिनट तक धोएं→ स्वास्थ्य केंद्र जाएं→ काटने के उपचार के लिए (घाव की देखभाल + प्रोफिलैक्सिस – काटने के बाद) टीकाकरण लें।
(4)नजदीकी पशु चिकित्सालय के सहयोग से समय पर कुत्तों का टीकाकरण कराये ।।।।
उच्च ज़ोखिम वाले समूह प्री एक्सपोजर टीकाकरण लेने का प्रयास करे ।।।।
हम निम्नलिखित चीजे नही करनी चाहिए:
(1)हाथ से घाव को नही छूना चाहिए
(2)कटे घाव पर मिट्टी, मिर्च, तेल, जड़ी-बूटियां, चाक, पान की पत्तियों जैसे उत्तेजक पदार्थ नही लगाना चाहिए
विशेष सन्देश एक चिकित्सक के द्वारा-
हम सभी को अपने अपने पालतू कुत्ते का टीकाकरण अवश्य कराना चाहिए
कुत्ते के काटने से बचाव हेतु प्रयास करना चाहिए जैसे : कुत्ते की शारीरिक भाषा को पढ़ना सीखें, उन्हें तंग नही करना चाहिए या उन पर हमला नही करना चाहिए
अपने बच्चों को सिखाएं कि यदि कोई जानवर उन्हें काटता या खरोंच मारता है, तो वे ये बात उन्हें (अभिभावक/माता-पिता को) बताएं। ओर ऐसा करने के लिए बच्चे को प्रोत्साहित करें।
घाव को तुरंत दस मिनट तक धोएं और टीकाकरण के बारे में अपने
चिकित्सक से परामर्श करें।आप सभी स्वस्थ रहें और मुस्कराते रहे धन्यवाद डाॅ.रमेश रावत (7800877008)