विधानसभा में उठेगा दलितों का मुद्दा – जिग्नेश

20 दिसम्बर 2017: गुजरात चुनाव के ताजातरीन नतीजे सामने आ गए गई और ये नतीजे बहुत ज्यादा आश्चर्यकजनक नही है क्यों कि इन आंकड़ों का अंदेशा पहले ही लगाया जा चुका था। भाजपा छठी बार गुजरात में अपनी सरकार बनाने के बेहद करीब है, हलाकि कांग्रेस पिछली बार के मुकाबले इस बार भाजपा को कुछ सीटों का नुकसान जरूर पहुचाया है|

जहा एक तरफ गुजरात चुनाव में नेताओं द्वारा बेहद अमर्यादित भाषाओँ का इस्तेमाल किया गया वही तमाम तरह के गतिरोधों के बावजूद भी गुजरात चुनाव में युवा उभर कर सामने आए है। एक ऐसा ही नाम है गुजरात के युवा दलित नेता जिग्नेश मेवानी का। दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने वडगाम से जीत दर्ज की है, उन्होंने लगभग 21 हजार वोटों से भाजपा प्रत्याशी चक्रवर्ती विजयकुमार हरकाभाई को हराया।

इस सीट पर कुल नौ उम्मीदवार खड़े थे। जिग्नेश मेवानी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन उनको कांग्रेस का समर्थन था। इस सीट पर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था। जिग्नेश की उम्र 37 साल है, वह वकालत के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में लगे रहते हैं।

1980 में गुजरात के मेहसाना में जन्मे मेवाणी इन दिनों मेघानीनगर में रह रहे हैं. यह अहमदाबाद का दलित बहुल इलाक़ा है. उनके पिता नगर निगम के कर्मचारी थे और अब रिटायर हो चुके हैं. ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ महात्मा गांधी की ‘दांडी यात्रा’ से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने दलितों की यात्रा का आयोजन किया और उसे नाम दिया “दलित अस्मिता यात्रा.”अहमदाबाद से शुरू हुई इस यात्रा में उस समय 100 से अधिक लोग उनके साथ थे। मेवाणी कहते हैं, “गांधी जी ने अपनी यात्रा के लिए लोगों का चयन किया था, ठीक वैसा ही मैंने किया है. हम जिस भी गांव से गुज़रे, हज़ारों लोगों ने स्वागत किया. मैंने उन हज़ारों लोगों को शपथ दिलाई कि अब वे मरे हुए जानवरों को नहीं उठाएंगे और सरकार से अपने लिए दूसरे काम की बात करेंगे.”

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