एक यवन राजा था। उसका नाम अगाथोक्लिस था। वह तक्षशिला क्षेत्र में शासन करता था। उसका शासन – काल 190-180 ई. पू. में था। उसने वासुदेव कृष्ण के सिक्के चलाए।
आप सिक्के को गौर से देखिए। सिक्के पर वासुदेव कृष्ण की तसवीर है। वासुदेव कृष्ण के हाथों में धम्म चक्र है। धम्म चक्र में आठ आरे हैं।
आप निष्कर्ष दे सकते हैं कि वासुदेव कृष्ण के हाथों में जो सुदर्शन चक्र है, वह धम्म चक्र है। मतलब कि सुदर्शन चक्र वास्तव में धम्म चक्र का रूपांतरण है।
ऐसे भी सुदर्शन चक्र का मतलब हुआ – सु + दर्शन चक्र अर्थात अच्छे दर्शन का चक्र। जाहिर है कि वह अच्छे दर्शन का चक्र तो धम्म चक्र ही है।
लेखक : डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह
(जानेमाने भाषा वैज्ञानिक)
कांता चक्र
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