किसी को न भी पता हो तो बता देता हूँ। मध्य प्रदेश की चित्रकूट विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। कांग्रेस विधायक प्रेम सिंह के निधन के बाद खाली हुई सीट ये बताती है कि विकल्प क्या होता है।
1993 के चुनावों में दिग्गज कांग्रेसी रामानंद सिंह जनता दल से इस बार फिर मैदान में थे। रामानंद दो बार सांसद और कई बार विधायक रहे। उनके ड्राइवर गणेश बारी ने मज़ाक में ही बसपा से नामांकन कर दिया था और उसके बाद आराम से रामानंद की गाड़ी चलाते रहे। चुनाव नतीजे आए, तो गणेश बारी चुनाव जीत चुके थे। गणेश को 18,749 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रहे जनता दल के रामानंद सिंह 13,488 वोट मिले। भाजपा के रामदास मिश्रा को 13,480, कांग्रेस के कृष्ण प्रकाश शर्मा को 11,752 वोट मिले थे। गिनती के बाद ढूँढ़ा गया कि गणेश कौन है ?
उसी दौरान एक मैले-कुचैले कपड़े पहने एक आदमी जिला कलेक्टर (रिटर्निंग अफसर) के पास बढ़ा तो कलेक्टर साहब चिल्ला पड़े। भगाओ, ये कौन, यहाँ चला आ रहा है। कुछ लोगों तभी बताया कि यही गणेश बारी हैं जो चुनाव जीते हैं। कलेक्टर बेहोश होते-होते बचा था। अभी फिर से लोग कह रहे हैं कि क्या करें-विकल्प ही नहीं है। गुजरात हो, हिमाचल हो, या चित्रकूट उपचुनाव, कांग्रेस और भाजपा में से किसी एक को चुनना मजबूरी है।
इसी चित्रकूट ने 2003 में सतना के सिटिंग सांसद रामानंद सिंह की विधानसभा चुनाव में जमानत जब्त करा दी थी। सतना वही सीट है, जहाँ प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे अर्जुन सिंह ही अपना चुनाव हार गए थे।
बहरहाल, विकल्प नहीं है-विकल्प नहीं है, के शोर में बर्खास्त दलित आईएएस शशि कर्णावत ने इस उपचुनाव में 2009 के बिछियन नरसंहार की एकमात्र जीवित बची, प्रभात कुमारी गौड़ को निर्दलीय मैदान में उतारा है। प्रभात कुमारी ने एमएससी की डिग्री प्रथम श्रेणी में हासिल की है।
डकैतों ने प्रभात कुमारी के मकान को बंद करके आग लगा दी थी। सारे लोग जिंदा जल गए थे। प्रभात कुमारी उस समय घर पर नहीं थी, इसलिए बच गईं। प्रभात कुमारी का चुनाव चिह्न हाथ की छड़ी है। चित्रकूट में 9 नवंबर को वोटिंग होगी, 12 को गिनती।
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