किसान मुक्ति यात्रा करते हुए हमने आज उत्तर प्रदेश के कजरी, पुरानपुर, पीलीभीत के किसानों की दशा जानने कि कोशिश की। इससे पहले हम किसान मुक्ति जत्था के साथ स्थानीय गुरुद्वारा गए। वहाँ मत्था टेका, लंगर खाया। तीनों जगहों पर किसानों कि जनसभाओं को संबोधित किया। पिछले 8 दिनों में उत्तर प्रदेश के आधे से अधिक जगहों का दौरा करते हुए किसानों की दयनीय हालत को करीब से जानने देखने का मौका मिला है। सूखा हाल, बेहाल किसान। उत्तर प्रदेश, सूखा प्रदेश बन गया है। इस सूखे की वजह से उत्तर प्रदेश के किसानों पर कर्ज़ का बोझ दुगुना हो गया है। यही वक़्त है जब किसानों को सरकारी मदद की सबसे ज्यादा दरकार है।
कर्ज़ माफ़ी के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश में नयी सरकार भी बनी। इसके बाद लोगों में कर्ज़ माफी की आस जगी थी। लेकिन कर्ज़ माफ़ी के नाम पर 5, 10 रुपये की माफी कर सर्टिफिकेट बांटा जा रहा है। कृषि ऋण मोचन योजना सरकार की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। यह किसानों के साथ भद्दा मजाक है। सरकार अगर किसानों को सम्मान की जिंदगी नहीं दे सकती है, तो उन्हें अपमानित भी न करे। और इसलिये अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति कर्ज़ माफ़ी कि नहीं, कर्ज़ मुक्ति कि मांग करती है। ताकि किसानों के साथ धोखाधड़ी बंद हो। अन्नदाता का अपमान, नही सहेगा हिंदुस्तान।
किसान जब संगठित होकर अपनी ताकत दिखाए तो, किसी डीएम, सीएम, और पीएम में हिम्मत नहीं कि वह किसान कि बात को अनसुना कर दे। देश के अलग-अलग हिस्सों में हुए किसान विद्रोह के आगे सरकार को झुकना पड़ा है, उसकी मांगें सुनी गयी है, पैकेज देना पड़ा है। लेकिन किसान को हर बार याचना करना पड़े, हर बार दुत्कार मिले, अब उसे यह कुबूल नहीं। अब उसे साथ मिलकर ही लड़ना होगा। किसान जागेगा तो उसके साथ-साथ देश भी जागेगा, उसके संघर्षों से जुड़ेगा। आंदोलनों में शामिल होगा। वह खेती किसानी के विमर्श को आगे बढ़ाएगा। किसान मुक्ति भी तभी संभव होगी जब सब मिलकर कहेंगे-
अन्नदाता का अपमान, नही सहेगा हिंदुस्तान। #KisanMuktiYatra -3 #UttarPradesh