भ्रष्ट है अखाडा परिषद और भ्रष्ट हैं महंत नरेन्द्र गिरी- आचार्य कुश मुनि

—मुझे पता चला है कि अखिल भारतीय अखाडा परिषद ने मेरा नाम फर्जी संतों की सूची मे आज डाल दिया है। जब कि मै किसी अखाडे से सम्बंधित नही हूँ।मै सन 2012 तक श्री पंचायती अखाडा नया उदासीन मे रहा पर अखाडों के भ्रष्टाचार से मन खिन्न हो गया और मैने दंडी सन्यासी परंपरा मे दीक्षा ले ली ।

मेरे गुरू श्री महंत विमल देव आश्रम जी महाराज गद्दी बडे सरकार मछली बंदर मठ वाराणसी हैं।जब मै एक प्राचीन परंपरा से हूँ तो मै कैसे फर्जी हो सकता हूँ? एक बात मै नही समझ पा रहा कि अखाडा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि ने मुझे फर्जी किस आधार पर घोषित किया ।

जबकि न तो मेरेविरूद्ध न तो कोई मुकदमा है और न ही किसी असामाजिक गतिविधि का आरोप है। परी अखाडा की संस्थापक त्रिकाल भवंता का विरोध नरेन्द्र गिरी हमेशा करते रहे त्रिकाल भवंता को फर्जी बताते रहे ,अनेक शंकाराचार्यों को फर्जी बताते रहे आज त्रिकाल भवंता का नाम या किसी फर्जी शंकराचार्य का नाम फर्जी बाबाओं की लिस्ट मे क्यों नही है ? कँही इसलिये तो नही कि इन लोगों से महंत नरेंद्र गिरि को पैसा मिल गया ?

योगी सत्यम का नाम नरेंद्र गिरि ने फर्जी बाबाओं की सूची से क्यों निकाल दिया ।इसलिये कि महंत नरेंद्र गिरि को पैसा मिल गया । और नरेन्द्र गिरि जैसा भ्रष्ट और अय्याश व्यक्ति धर्म का ठेकेदार कैसे बन सकता है ?जिसने खुद बाघंबरी गद्दी की जमीन को बेचा हो वह नरेन्द्र गिरि सही और मै फर्जी बाबा हो गया ।जिस भ्रष्ट नरेन्द्र गिरि ने शराब के कारोबारी सचिन दत्ता को निरंजनी अखाडे का महामंडलेश्वर बनाया और बाद मे विरोध होने पर सचिन दत्ता को बर्खास्त कर दिया वह नरेन्द्र गिरि सही और मै गलत हो गया ।वाह रे धर्म के ठेकेदार ।तुझे शर्म नही आयी ।

नरेंद्र गिरि तो समाजवादी पार्टी का दलाल और मुलायम सिंह यादव का दलाल है ।अखिलेश यादव का दलाल है।इसी दलाल ने विश्वहिन्दू परिषद की पंचकोशी परिक्रमा का विरोध किया था ।और ये दलाल आजकल भारतीय जनता पार्टी मे घुसने की कोशिश कररहा है।और दलाली कर रहा है। एक पत्रकार ने मुझे बताया कि नरेंद्र गिरि का कहना हैं आचार्य कुश मुनि विवाहित हैं।इसलिये संत नही ।तो इस पर मेरा यह कहना है कि अरे मूढ बुद्धि लंठ कुल कलंक पातकी ,कुलांगार , कालनेमि के परंपरा के संवाहक नरेंद्र गिरि क्या तूने धर्मग्रंथों का अनुशीलन या श्रवण नही किया ?अरे दुर्बुद्धि शठ हमारे सभी ऋषि मुनि विवाहित थे मै उसी ऋषि परंपरा का संवाहक हूँ।तू एक पृष्ठ हिन्दी शुद्ध नही लिख सकता और तू असली और मै फर्जी संत हो गया ।

अरे मूर्ख मै तुझे और तेरे अखाडा परिषद के सभी महंतों को चुनौती देता हूँ कि कि पहिले अपने पुरुषार्थ अपनी मर्दानगी का परीक्षण कराँये और फिर मेडिकल टेस्ट मे खुद को ब्रम्हचर्य प्रमाणित करें।तब मै मानूँ कि तू और तेरे अखाडे के महंत वास्तविक रूप मे ब्रम्हचारी है।आज हालत यह है तेरे अखाडों मे कि जिसके एक बीबी वह गृहस्थ और जिसकी रखैलों का अंत नही वह महंत विरक्त है।और जो समलैंगिक है वह तो महात्यागी है।

यदि तेरे अखाडों के महंतों का मेडिकल टेस्ट हो जाये तो पता चलेगा कि अखाडों मे कितने तपस्वी संत हैं। सच्चाई यह है कि गाँजा ,अफीम चरस आदि नशीले पदार्थो का प्रचार प्रसार अखाडों के संत ही कर रहे हैं और वे सही हैं।और मै पान तक नही खाता तो मै फर्जी संत हूँ।धिक्कार है तुझे नरेंद्र गिरि और तेरे अखाडों को भी धिक्कार है। मै जन सामान्य से निवेदन करता हूँ कि अखाडों के साधुओ का बाहिष्कार करें।

आदि शंकराचार्य के नाम पर सभी अखाडे दुकानदारी कर रहेहैं।और आदि शंकराचार्य ने दशनाम सन्यासी संप्रदाय की स्थापना की थी ।किसी अखाडे की स्थापना नही की थी ।यदि अखाडों की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की होती तो श्री राम चरित मानस मे गोस्वामी तुलसी दास जी ने अवश्य इसका उल्लेख किया होता ।गोस्वामी जी ने अपने ग्रंथ राम चरित मानस मे किसी अखाडे का उल्लेख नही किया और न ही अखाडों के शाही स्नान का भी उल्लेख नही किया । इससे प्रमाणित है कि यह तथाकथित अखाडा परिषद धर्म का स्वयंभू ठेकेदार बन गया है। सामान्य जनता को मेरी सलाह है कि तथाकथित अखाडों के साधुओं से बच कर रहे।यदि आप के घर किसी अखाडे का साधु घुसता है तो पहिले तो आप के घर की महिलाएं सुरक्षित नही रहेगीं।दूसरा अखाडे के साधुओं की संगत मे पड कर आप का लडका नशीले पदार्थों का सेवन सीख सकता है।इसलिये अखाडों से और अखाडा परिषद से सावधान रहें।दूर रहें।इसी मे आप की भलाई और सुरक्षा है।

(लेखक -ब्रम्हर्षि आचार्य कुश मुनि स्वरूप) राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिल भारतीय दंडी सन्यासी प्रबंधन समिति मोबाइल 9450763125

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