पटना। आरजेडी मुखिया लालू प्रसाद यादव आज पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होने वाली ‘भाजपा भगाओ, देश बचाओ’ रैली कर रहे हैं. इस रैली को रैली को न केवल लालू यादव के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है बल्कि इसे उनकी राजनीतिक साख और राजनीतिक पूंजी से जोड़कर भी देखा जा रहा है. असली जेडीयू शरद यादव की, हम डरने वाले नहीं
तेजस्वी ने कहा, ”मैं नीतीश कुमार को कल भी चाचा कहता था और आज भी कहता हूं लेकिन अब वे अच्छे चाचा नहीं रहे. नीतीश आप लोगों की बदौलत मुख्यमंत्री बने लेकिन बीजेपी से हाथ मिला लिया. चाचाजी को कोई डर था जो महागठबंधन छोड़कर चले गए, 28 साल का होकर भी मैं नहीं डरा. जब हम भागलपुर गए थे, तो हमसे डरकर सरकार ने धारा-144 लागू कर दी. नीतीश भले ही महागठबंधन छोड़कर चले गए लेकिन महागठबंधन टूटा नहीं है. असली जेडीयू शरद यादव की है. हमलोग डरने वाले नहीं हैं.” पटना रैली मे तेजस्वी ने कहा, “मैं कसम लेता हूं, जब तक बिहार और दिल्ली की गद्दी से जुमलेबाजों और धोखेबाजों को नहीं हटाऊंगा, तब तक मैं चैन से नहीं बैठूंगा।
आज मैं यहां लालू यादव के पुत्र की हैसियत से नहीं खड़ा हूं. मैं आज यहां आप सभी के धर्म की रक्षा के लिए धर्मप पुत्र की हैसियत से खड़ा हूं. मैं आप लोग आने वाले समय में अपने इस धर्म पुत्र की रक्षा कीजिएगा.” हमें एकता को बनाकर रखना है रैली में तेजस्वी यादव ने बीजेपी और नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. ।
तेजस्वी ने कहा, ”हमें गलत तरीके से फंसाया जा रहा है और जो असली भ्रष्टाचारी हैं वो चोला ओ कर घूम रहे हैं. ये एक बार फिर जुमला लेकर आएंगे. ये लोग दंगा करवाना चाहते हैं. लेकिन सबसे जरूरी चीज. इंसानियत है, अगर इंसानियत ही नहीं रहेगी तो फिर मंदिर में घंटा कौन बजाएगा और मस्जिद में इबादत कौन करेगा. भाई चारा ही हमारे देश की खूबसूरती है. हमें एकता को बनाकर रखने का काम करना है लालू यादव की रैली में विपक्ष की करीब 16 पार्टियों ने हिस्सा लिया. ।
इन पार्टियों में आरजेडी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा, राष्ट्रीय लोक दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी प्रमुख रहीं।
विपक्ष की ओर से राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मायावती के रैली में शरीक ना होने से रंग थोड़ा फीका नजर आया। लेकिन अशोक चौधरी ने राहुल गांधी का सन्देश पढ़कर सुनाया।
कांग्रेस की ओर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद शामिल हुए। इस विपक्षी एकता में बसपा सुप्रीमो मायावती के शामिल न होने से उनके समर्थक नराज है।