यह कैसी आधुनिकता है ? बंद फ़्लैट से माँ का कंकाल मिलता है !


आज नवभारत टाइम्ज़ में फ़्रंट पेज पर ख़बर छपी है “बंद फ़्लैट से मिला माँ का कंकाल” ख़बर पढ़ कर स्तब्ध रह गया हम किस दुनिया की तरफ़ क़दम बढ़ा रहे है ?

महिला करोड़ पति थी ५-५ करोड़ के दो है ,भरा पूरा परिवार है बेटा है ।पति की मौत २०१३ में हो चुकी थी और बेटा परिवार समेत अमेरिका में रहता है ।  पर बेटे ने पिछले एक साल से मॉ को काल नहि किया था । जब  सवा साल के बाद यहाँ मुंबई में आय तो मॉ के घर का दरवाज़ा बंद था । जब दरवाज़ा तोड़ के अंदर गए थे तो मॉ मर चुकी थी और शरीर गल कर सिर्फ़ कंकाल बचा था । 

मौत के कई कारण हो शकते है , अकेले पन की शिकार हो सकती है , भूख या कमज़ोरी भी कारण हो सकता है , या बीमार हुईहो कोई देखने वाला नहि था कुछ भी हो सकता है ।

पर बुज़ुर्गों की इस हालत का ज़िम्मेदार कौन है जिस मॉ बाप ने अपने बेटे को पढ़ा लिखा कर इतना क़ाबिल बनाया की वह अमेरिका जैसे शहर में जा कर सेटेल हो सकता है । वह अपने मॉ बाप को कैसे भूल जाता है । जिसको पालने में मॉ बाप अपनी पूरी ज़िंदगी लगा देते है , पूरी कमाई लगा देते है बच्चे की एक आवाज़ पर तुरंत दौड़े चले आते है उनकी पढ़ाई लिखाई के  चक्कर में कही घूमने नहि जा पाते छोटी -छोटी ख़ुशियाँ त्याग देती है वही बच्चा बड़ा हो जाता है तो उसे इतना समय नहि मिलता की मॉ बाप की सुध न ले सके । 
कैसे आख़िर कैसे बच्चे मॉ बाप को इस हाल में  छोड़ देते है । शहरों में  वृद्घा आश्रम में बढ़ती भीड़ इस बात की तकसीद करती है की हमारे समाज में बहुत कुछ बदल रहा है । बच्चे पैसे देकर माँ -बाप को वृद्घा आश्रम में रखने के लिए तैयार हो जाते है पर बच्चों के घर पर मॉ बाप के लिए जगह नहि होती । वह क्यों उन्हें घर से बाहर निकाल कर भूल जाने को आतुर रहते है । जिन मॉ बाप ने अपनी सारी ख़ुशियाँ उनके लिए न्योछावर कर देते है क्यों उन्हें भूल जाते है ।

इस केस में बच्चे तो बच्चे समाज भी उदासीन दिखता है बड़े बड़े घरों में रहने वाले लोगों की समजिकता ख़त्म होती दिख रही है एक फ़्लैट में रहने वाली महिला २-४ दिन दिखती नहि है तो भी आस -पड़ोस में रहने वाले लोगों को कुछ फ़र्क़ नहि पड़ता । पड़ोसी बिलकुल नहि सोचते की क्यों नहि दिख रहा है हमारा पड़ोसी । पड़ोसी से कुछ लेना देना ही नहि । सोशल मीडीया में हज़ारों मित्र है पर पड़ोसी से मिले महीनो बीत जाते है । और ऐसे घरों में रहने वाले बच्चे क्या सिखेंगे ?

समाज में बुज़ुर्गों के प्रति यह ख़तरनाक प्रवृति पनप रही है इसका समय पर इलाज करने की ज़रूरत है नहि तो देश और समाजऐसे गर्त में चला जाएगा जहाँ से निकालना मुश्किल है ।

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