लालू हर हाल मे तेजस्वी को विपक्ष का नेता बनाना चाहते हैं इसके लिए नितीश लालू ने मिलकर यह कहानी रची है जिससे बिहार की जनता को पुन: बेवकूफ बनाया जा सके..
इस नौटंकी से नितीश कुमार को कुछ फायदा नही है वह तो पहले भी मुख्यमंत्री थे और आज भी मुख्यमंत्री है इससे लालू को होने वाला फायदा..
तेजस्वी का विपक्ष के नेता के रूप मे उभार
घोटाले से मीडिया और पब्लिक का ध्यान भंग
तीसरा नेतृत्व उभार को रोकना और बिहार को लालू नितीश के बीच मे नचाना जैसे 1990 से चल रहा है..
नितीश को बस बीजेपी के साथ जाने से यह फायदा हुआ कि जो फाइल नितीश की खुलनी वाली थी वह रूक गई जिससे वे अपनी इमेज बचा लिए.. और अब इस गठबंधन से बीजेपी जदयू मे सीट बटवारा ऐसा होगा जिससे बीजेपी 100 सीट से ऊपर कभी नही मिलेगा और बीजेपी अपने दम पर कभी बहुमत पर नही आ पाएगी… जबकि लालू नितीश के एक साथ रहने पर अगली बार बीजीपी बिहार मे पूर्ण बहुमत से आती… और इस अलगाव से यह संभावना समाप्त…
तीसरे नये नेतृत्व उभार का मार्ग बन रहा था उसी मार्ग को रोकने के लिए यह अलगाव है और नितीश और लालू का टाइम खत्म अब दोनो मिलकर तेजस्वी को बढा रहे हैं और भाजपा के साथ जाकर नितीश, लालू के भ्रष्टाचार की कार्रवाई को बांधने का काम करेगे जिससे तेजस्वी पर भ्रष्टाचार का आरोप से बचाया जा सके….
15 साल के बाद सत्ता पर बने रहना सम्भव नही है इसलिए नितीश लालू ने उल्टा कान पकडा अब यह सत्ता नितीश से तेजस्वी के पास जाएगी…
यदि यह अन्याय होता तो राजद के सभी विधायक नितीश भाजपा की असंवैधानिक सरकार के विरोध में इस्तीफा देते…
अब नितीश व शरद यादव केन्द्र की राजनीति कर नये नेतृत्व उभार को रोकेगे… यह सब सत्ता पर कब्जा के लिए किया गया ड्रामा है