कानपुर : बारिश का सुहाना मौसम और लहलहाती फसलें। लेकिन इसी बीच ज़ल्द ही भारत के विभिन्न हिस्सों से एक माह में ही हर वर्ष की तरह डेंगू की टीवी रिपोर्ट्स आना शुरू हो जाएंगी।
अख़बार ,अस्पताल प्लेटलेट्स महंगी मिलने या न मिल पाने का गम मनाना शुरू कर देंगे।
छोटे शहरों के मरीज़ बुखार आते ही बड़े शहर भागेंगे।
प्लेटलेट्स कम होते ही लोग बड़े शहरो की तरफ प्रस्थान करना शुरू कर देंगे ,
Tv पर कुछ लोग प्लेटलेट्स बढ़ाने के हर्बल उपाय बताने लगेंगे।
प्लेटलेट्स बढ़ाने की दवाएं मार्केट में लेकर बहुत सी कंपनियां आ जाएंगी।
डेंगू से मृत्यु क्यों होती है जनता तो जनता ही है कई डॉक्टरों को भी नहीं पता होगा।
सरकारें tention में आ जाएंगी। इस बीच कोई भी डेंगू और उसके खतरे को वैज्ञानिक रूप से नहीं समझेगा। जैसा कि हम अन्य खतरों और बातों को भी सिर्फ मान लेते हैं ,जानने की कोशिश नहीं करते क्योंकि मानना बड़ा आसान है जानने के लिए प्रयास चाहिये।
तो छोटी सी कोशिश आप सबके लिए। समझिये डेंगू को आसान भाषा में।………………………………….
डेंगू एक वायरस है जो कि एडीज मच्छर के द्वारा एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में पंहुचाया जाता है।
यह मच्छर इस वायरस का वाहक है।
इस virus के 4 प्रकार होते हैं।
Type 1 type 2 type 3 type 4
जब भी किसी एक टाइप का वायरस किसी व्यक्ति के शरीर में जाता है तो उसे
हल्का फुल्का बुखार आता है,कभी तेज़ बुखार भी और कभी पता भी नहीं चलता। तीनों स्थिति में व्यक्ति एक हफ्ते के भीतर बिना किसी दवा के ही ठीक हो जाता है।
लेकिन एक घटना घट चुकी होती है भीतर। इस वायरस को मारने, हमारे शरीर में एंटीबाडी नाम के छोटे छोटे हथियार पैदा हो चुके होते हैं और एक हफ्ते के भीतर ये एंटीबाडी हमें वायरस से लड़कर निज़ात दिलवा देती हैं।
लेकिन खुद ये छोटे हथियार शरीर में रह जाते है । वे इस टाइप के वायरस को दोबारा शरीर में प्रवेश ही नहीं करने देतीं ।।
लेकिन जब साल दो साल बाद दोबारा किसी दूसरे टाइप के डेंगू वायरस का भी हमला होता है तो ये एंटीबाडी संख्या में बहुत बढ़ जाती हैं ,लड़ने, तकरीबन पागल सी हो जाती हैं और गलती से ये अपने ही शरीर के कुछ हिस्सों को दुश्मन समझ मारने लगती हैं। जैसे प्लेटलेट्स को, लिवर पर आक्रमण,नसों और धमनियों पर आक्रमण।
********लक्षण:************
तेज़ बुखार, दाने,सिरदर्द,शरीर में दर्द,पेट दर्द,खुजलाहट,लालिमा,चेहरे पर हल्की सूजन
******मृत्यु:***********
समय पर उपचार शुरू करने से मृत्यु का प्रतिशत 1 प्रतिशत के लगभग होगा।
मृत्यु का कारण प्लेटलेट्स की कमी या रक्तस्त्राव नहीं बल्कि नसों और धमनियों पर आक्रमण से उनका फैलाव होना और द्रव्य का रक्त से निकल धमनी और नसों के बाहर चले जाना है।
जिससे रक्त में पानी की कमी से रक्त प्रवाह रुक कर ऑक्सीजन सप्लाई कम हो जाती है विभिन्न अंगों को जिसे शॉक कहते हैं।
तो मृत्यु शॉक की वज़ह से होती है। न कि प्लेटलेट्स कम होने से।
******उपचार **********: क्योंकि मृत्यु शॉक या शरीर में पानी कम होने से होती है इसलिए इसका उपचार उस पानी की पूर्ती आइवी fluid से सही नाप और दर से करना ही एक मात्र और बेहद कारगर उपाय है।
क्योंकि वायरस नहीं एंटीबाडी कारण है समस्या का, तो वायरस को मारने की भी कोई दवा नहीं देनी।
कम हुई प्लेटलेट्स दो से चार दिन में खुद ब खुद बढ़ जाती हैं।
और इसी खुद बढ़ने की वज़ह से …… ,
तो छोटे शहर में भी डेंगू के सारे मरीज़ बचाये जा सकते हैं बशर्ते कि तीन चीज़ें हों।
1.एक डॉक्टर जिसे डेंगू के इलाज़ का अनुभव और आत्मविश्वास हो।
- #Pcv नाम की मात्र 50 रुपए की आसान जाँच की सुविधा हो। इस रक्त जांच को पहले 24 घंटे , हर दो घंटे में करने की ज़रूरत होती है। क्योंकि pcv के आधार पर ही सेलाइन की मात्रा और घंटे तय किये जाते हैं। यह calculation ही कुंजी है सफलता की ओर ठीक होने की।
3.saline
साथ ही दर्द एवं बुखार से राहत “paracetamol से दी जाती है। महत्वपूर्ण यह है कि ब्रूफेन ,combiflame जैसी दवा न ली जाये ।
गंभीर डेंगू में ऊपरी तीन सुविधा छोड़ कर दूसरे बड़े सेंटर के लिए यात्रा बेवकूफी पूर्ण खतरनाक कदम हो सकता है। क्योंकि पूरे विश्व में इलाज़ एक ही है अमेरिका तक जाइये या लंदन
धन्यवाद
- डाॅ रमेश रावत