“पहले वो तुम्हारी बस्तियाँ जलाये, फिर तुम उनके घर फुँको, फिर वो तुम्हें काटे, तुम उनको क़त्ल करो, इस चेन रिएक्शन में उनकी जीत सुनिश्चित है क्योंकि राजनीतिक सत्ता उनकी, धार्मिक सत्ता उनकी, समाजीक व्यवस्था उनकी, वे एक झटके में तुम्हें नक्सली कह भून कर मूत के चल देंगे.
मसल पॉवर से बड़ी होती है अक़्ल पॉवर. बाबासाहेब ने इतनी बड़ी क्रांतियाँ बिना ख़ून बहाये की, उनके तरीकों को काल बाह्य कहकर अपनी मूर्खता से लड़ोगे तो संख्या और संसाधन बल में सिमट कर बड़ी ज़लील मौत मरोगे, ये युद्ध ताक़त से ज़्यादा बुद्धि का है.
बाबासाहेब कहते है कि जब तक विरोध का कोई भी संवैधानिक तरीका मौजूद हो, वह इस्तेमाल करना चाहिये. जब कोई संवैधानिक तरीका ही न बचे, तब हर असंवैधानिक तरीका भी अपने आप संवैधानिक हो जाता है.”