मुंबई में भ्रष्टाचारी ब्यवस्था के ख़िलाफ़ रामशंकर सरोज ने छेड़ी एक साहसिक जंग…

800 आरटीआई दर्ज कराने वाले रिक्शा चालक !

रामशंकर अयोध्याप्रसाद सरोज मुंबई के धारावी में रहने वाला एक आम रिक्शाचालक I रोज़ मेहनत करना और स्वाभिमान से रहता है । रामशंकर सरोज जी के जागरूक होने की कहानी शुरू होती है साल 2००3-०4 के आसपास जब मुंबई में पुनर्विकासन अधिनियम के तहत रामशंकर सरोज की सोसायटी को एसआरए के अंतर्गत एक बिल्डर को विकास करने के लिए दी गई । जब रामशंकर सरोज को यह पता चला कि बिल्डर ग़रीब निवासियों को धोखा दे रहा है तो रामशंकर के अंदर का स्वाभिमानी कार्यकर्ता भ्रष्ट बिल्डर के ख़िलाफ़ उठ खड़ा हुआ ।
रामशंकर सरोज जी ने महाडा ( महाराष्ट्र सरकार की हाउज़िंग डिवेलपिंग अथॉरिटी) और बिल्डर के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करना शुरू किया ।

बिल्डर के अनेक अनिधकृत निर्माण कार्य के ख़िलाफ़ सबूत देकर और आरटीआई का उपयोग कर सलंगन अधिकारियों और पोलिस की मदद से किए जा रहे अनिधकृत कार्यों की जानकारी उजागर हुई ।

सरकारी ब्यवस्था केवल काग़ज़ों पर हवाई घोड़े दौड़ाते है और यही ब्यवस्था भ्रष्ट मंडलीयो का पालन पोषण करते है। यह बात रामशंकर जी को समझ में आ गई ।परंतु उन्होंने प्रण किया इस ब्यवस्था के ख़िलाफ़ लड़ते हुए अगर मै मर तो भी गया तो चलेगा पर अपने जीते जी इस लड़ाई से पीछे नही हटूँगा ।और यही मंत्र रामशंकर सरोज जी के जागरूक हो कर लड़ाई लड़ने का सहारा बना ।
एक सीधा सादा केवल दसवीं पढ़ा रिक्शा ड्राइवर रामशंकर सरोज ने पिछले 6 सालों में आरटीआई के ज़रिए मुंबई में महडा, महानगरपालिका ,मंत्रालय , पोलिस टेशन और दूसरे सरकारी दफ़्तरों के अनाधारिक कार्यों को उजागर किया है ।
कई बार इन्हें जानकारी देने से टालने की कोशिश की जाती थी बहाने बनाए जाते थे क्योंकि अगर जानकारी दी तो बड़े अधिकारियों की पोल खुल जाएगी।

जानकारीं पाने के लिए रामशंकर जी कई कई बार आरटीआई के स्टेटलेवल कमिश्नर के कार्यालय पर जा कर अपील करते थे । पर अनेक जायज – नाजायज़ कारण बता कर काग़ज़ों के खेल – खेलकर जानकारी देने से महरूम कर देते थे ।

इस दौरान रामशंकर सरोज RTI न डाले इसके लिए अनेक प्रलोभन दिए जाते थे कुछ अधिकार्यो ने नए रिक्शे दिलाने की पेशकश की और RTI का पीछा छोड़नेके लिए कहा ।

कुछ बिल्डरो ने मुंबई जैसे शहरमें २-२ फ़्लैट्स तक देने का वादा किया ।

पर इस स्वाभिमानी आरटीआई कार्यकर्ता को इतने बड़े बड़े लालच भी उसके ईमान से डिगा नही पाए ।

भ्रष्टाचार का काला चेहरा सबके सामने लाना ही सरोज जी के जीवन का एकमात्र लक्ष्य है । इसलिए रामशंकर जी कोई ख़रीद नही सका । और नही ये बिकने वाले । सच के लिए लड़ना ही पासियो की असली पहचान है।

ईमानदारी और निडरता रामशंकर का उदाहरण RTI कार्यकर्ताओं के लिए एक आदर्श उदाहरण है ।

RTI का उपयोग कर प्रशासन व्यवस्था को स्वच्छ करना और जागरूक नागरिकों का प्रशासन व्यवस्था पर पर पैनी नज़र रखने के लिए हज़ारों हज़ार रामशंकर सरोज का जन्म लेना आज समय की माँग है

रामशंकर जी के बारे में मुंबई के कुछ मराठी और अंग्रेज़ी अख़बरो में कई बार छप चुका है । पर हिंदी अखबारो में इनके बारे में कुछ नहि छपा है( क्यों नहि छपा है यह जानना मुश्किल नहि है जब हम जानते है की हिंदी अखबारो में कौन लोग मुख्य पद पर है ) ईसिलिए अपने पासी समाज के लोगों को भी इनके बारे में कम ही जानकारी है । इनकी बहादुरी का पूरे पासी समाज के लिए गर्व की बात है ।अगर यही काम किसी साधन संप्पन या नेता ने किया होता तो पासी समाज के लोगों की जबान पर उनका नाम होता पर वह एक साधारण इंसान है इसलिए शायद वह पासी समाज के लिए आज भी अनजान है ।और उन्हें इस बात से कोई फ़र्क़ भी नहि पड़ता वह सिर्फ़ ईमानदारी से अपना कम करने में विश्वास करते है न की नाम के प्रचार का । नहि तो कोई कारण नहि था की कई बार ख़बरों में आने के बाद भी , जिसने मुंबई के सरकारी तंत्र में , जिसने प्राइवट बिल्डरो में अकेले ही खलबली मचा रखी है पासी समाज की गतिविधियों से दूर है ।
रामशंकर जी का मानना है की सेवा के लिए उठा एक हाथ प्रार्थना के लिए उठे दो हाथो से ज़्यादा महत्वपूर्ण है । – सुधीर सरोज, मुंबई

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